तमिलनाडु में बिहारियों पर हुए हमले के मामले में प्रशांत किशोर का तेजस्वी यादव पर पलटवार

विश्वपति

सीवान।
प्रशांत किशोर ने आज यहां मीडिया संवाद कार्यक्रम के दौरान की तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग वीडियो को फेक बात रहे हैं। मैं उनकी जानकारी के लिए बात दूं कि कुछ पत्रकारों ने गलती की और उस घटना में 2-3 वीडियो किसी अन्य घटना की चला दी, जिसको संदर्भ बनाकर कुछ लोग उसको फेक बात रहे हैं।
बिहार के उप मुख्यमंत्री ने भी विधानसभा मे कहा है की ये सब गलत वीडियो है, लेकिन मैं अभी दो दिन बाद सही वीडियो भी जारी करूंगा। जिसको को जो बोलना है वो उस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है और इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस घटना में सच्चाई है कि जो लोगों बिहार से वहाँ रोजगार के लिए गए हैं, उनके साथ मारपीट हुई है। तमिलनाडु के DGP ने भी अपने बयान में सिर्फ दो वीडियो का खंडन किया है और उस घटना के 5 वीडियो उससे पहले आ गए हैं। पिछले 4 महीनों से ये घटना हो रही है। केंद्र सरकार ने वीडियो जारी किया है। बिहार के जो भी नेता इस मामले को गलत साबित करने मे लगे हुए हैं कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। मैं उनको बात दूँ की मैं भी 2 दिनों में वीडियो जारी करूंगा।

नीतीश कुमार चुनाव हारने के बाद भी कोई न कोई जुगत लगाकर मुख्यमंत्री बने हुए हैं:

प्रशांत किशोर ने मीडिया संवाद कार्यक्रम के दौरान कहा कि नीतीश कुमार एक ऐसे नेता थे जो 2014 में लोकसभा चुनाव नहीं हारे थे लेकिन फिर भी राजनीतिक नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 2014 में नीतीश कुमार चुनाव नहीं हारे थे बल्कि उनकी पार्टी चुनाव हारी थी, क्योंकि उनके सांसदों की संख्या घटकर 2 हो गई थी और उन्होंने इस्तीफा देकर मांझी जी को मुख्यमंत्री बनाया था। आज वही नीतीश कुमार जो 2020 में चुनाव हार चुके हैं, क्योंकि विधानसभा में उनके पास सिर्फ 42 विधायक हैं, फिर भी कोई ना कोई जुगत लगाकर, उसी कुर्सी पर फेविकोल लगाकर बैठे हैं। चाहे इसके लिए वो राजद के साथ गठबंधन बनाए या फिर कमल का हाथ पकड़ लें।

बेरोजगारी और पलायन बिहार की सबसे बड़ी समस्या, हर प्रखंड से लगभग 40 प्रतिशत युवा मजबूरी में पलायन करने के लिए मजबूर : प्रशांत किशोर

मीडिया संवाद कार्यक्रम के दौरान प्रशांत किशोर ने बेरोजगारी के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि जिन क्षेत्रों मे जलजमाव, नदियों के कटाव या बाढ़ की समस्या है, उन क्षेत्रों में पलायन की समस्या ज्यादा है। जहां पर बाढ़ की समस्या नहीं है वहाँ पलायन कम है, लेकिन पलायन करीब करीब बिहार के सभी जिलों की समस्या है। इसको आंकड़ों मे 40 से 50 प्रतिशत माना जा सकता है। कम से कम 1 पंचायत मे 1 हजार लड़के ऐसे हैं, जो कामकाजी उम्र के हैं और हर पंचायत से 500 से 1 हजार लड़के बिहार से बाहर जाकर मजदूरी कर रहे हैं। आमतौर पर समझा जाता है कि बेरोजगारी और पलायन गरीब लोगों के लिए समस्या है लेकिन देखने में ये आया है कि मध्यवर्गीय परिवारों मे भी बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। बिहार में ज्यादातर लोगों ने मान लिया है कि परिवार का युवा परिवार के साथ रह ही नहीं सकता है, क्योंकि रोजगार की तलाश में वो बिहार से बाहर जाता है और साल में एक बार ही वापस आता है जो एक बहुत ही गंभीर समस्या है।

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