subhash nigam
नयी दिल्ली : संविधान पीठ के फैसले के बाद सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद देशभर के इससे संबंधित याचिकाएं खारिज कर दी जाएंगी । उन्होंने कहा कि संविधान में पिछड़ों को आरक्षण देने का फैसला जब दिया जा रहा था, उस समय बाबा भीमराव अंबेडकर ने भी इस फैसले का विरोध किया था । साथ ही संविधान के निर्माताओं ने इस पर आपत्ति दर्ज की थी, मगर कई दबावों के बीच इसे मात्र 10 साल के लिए शुरुआत में दिया गया था और पिछड़ी जातियों को मुख्यधारा में लाने के लिए इसका फैसला हुआ था । मगर देश की सरकारों ने इस फैसले को 10 साल से बढाकर 20 साल और फिर 70 साल तक जारी रखा । उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रहे रामनाथ कोविंद के परिजन और परिवार वालों को भी आरक्षण प्राप्त है , ऐसे में जबकि उनकी स्थिति आरक्षण योग्य नहीं है । ऐसे ही उन्होंने कई बड़े नाम लिए जिसमें रामविलास पासवान समेत कई नाम थे जिन्हें आरक्षण का लाभ देना ठीक नहीं ।
उन्होंने कहा कि अब जो पिछड़ों को दिया गया आरक्षण है उसकी भी समीक्षा की जानी चाहिए कि आखिर इनको आरक्षण क्यों जारी रखा जाए । उन्होंने कहा कि यह भी सरकार की जरूरत है जो उच्च वर्ग के लोग हैं जो गरीब तबके के हैं जिनको ना सरकारी नौकरियों में आरक्षण है और नहीं पढ़ाई में, वह लगातार पिछड़ते जा रहे हैं जिनको आरक्षण की जरूरत है । उन्होंने कहा, जिन्हें ऊपर उठाना है उन्हें आरक्षण नहीं और जिनको आरक्षण की जरूरत नहीं है, उन्हें आरक्षण देकर लगातार आगे बढ़ाने की कोशिश लोग कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि पिछड़ों को दिए जा रहे आरक्षण की भी समीक्षा की जानी चाहिए ताकि जो सही मायने में आरक्षण के हक़दार हैं , जो किसी भी जाति के हों , चाहे वह पिछडी जाति के हो या अगड़ी जाति के हों , आरक्षण की जरूरत है, हकदार हैं तो उन्हें आरक्षण दिया जाए ताकि सबको समानता का मौका, ऊपर उठने का मौका मिल सके ।