देश के लगभग दर्जन राज्यों के नदियों के अस्तित्व पर संकट
बिहार ,यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, बंगाल की कई नदियां सूखे की चपेट में हैं
आम लोगों के पानी की आपूर्ति से लेकर मछुआरों के जीवन यापन पर संकट
विश्वपति
नव राष्ट्र मीडिया
पटना, 21 जून।
इस वर्ष पड़ रही भीषण गर्मी और ग्लोबल वार्मिंग का असर भूगर्भ जल के अलावा नदियों के बहाव के ऊपर भी साफ दिखाई दे रहा है। हिंदी भाषी पट्टी के तमाम राज्यों की अधिकतर नदियां सूख गई हैं और उनके अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो गया है।
खुद गंगा ,जमुना , सरयू, सोनभद्र आदि नदियों में पानी चिंताजनक स्थिति में यानि बेहद कम हो गया है । नदियों में पानी कम होने से आम लोगों के अलावा मछुआरा समाज के समक्ष जीवन यापन का संकट पैदा हो गया है।
बिहार में 37 और झारखंड में 44 नदियां सूख गई। बागमती और बुढी गंडक जैसी भयंकर नदियों पर सूखे का साया मंडरा रहा है। जून का महीना खत्म होने को और कहीं भी नदियों के जल प्रवाह में वृद्धि नहीं हो रही है। कुछ स्थानों में मानसून की मामूली बारिश भी वृद्धि नहीं ला रही है।
बहारहाल, बिहार के प्रत्येक जिले में नदियां सूख गई हैं। मछुआरों के सामने अपने पेशे और घर से पलायन की नौबत आ गई है । बिहार की हालत ऐसी रही तो इस प्रदेश को रेगिस्तान बनने से कोई नहीं रोक सकेगा। ग्लोबल वार्मिंग का असर मछुआरे समाज पर पड़ रहा है । सरकार अविलंब मछुआरों को पैकेज देना चाहिए जिससे वे अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।
मालूम हो कि प्रत्येक वर्ष औसतन बिहार में करीब 6.50 लाख टन मछली का उत्पादन होता है। उस पर से ग्लोबल वार्मिंग का असर नदियों पर दिख रहा है । जीवनदायनी और मोक्षदायनी नदियों में पानी तक नहीं है । कई नदियों में मापने तक पानी नहीं है ।
जानकार लोगों का कहना कि सरकार में बैठे लोग मृतप्राय नदियों को पुनर्जीवित करने के नाम पर सिर्फ कागजी योजना बना रहे हैं और सरकारी खजाने को लूट रहे हैं। नदियों का पुनर्जीवन तो दूर सरकारी अफसर और नेता भरपूर कमाई कर रहे है। सरकार से मांग तेज है कि मछुआरों की समस्या पर विचार के लिए समिति बनाएं। साथ ही प्रभावित मछुआरा परिवारों को मुआवजा दें ।
बिहार राज्य मतस्यजीवी सहकारी संघ लिमिटेड (कॉफ्फेड) ने इस विकराल स्थिति को गंभीरता से लिया है। वह 3 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मछुआरा सहकारिता दिवस पर सरकार से ‘नदी बचाओ, मछुआरा बचाओ’ की मांग करते हुए राजभवन मार्च करेगा।
कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने बिहार झारखंड की नदियों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहां की राज्य सरकार को कम से कम बिहार में नदियों के अस्तित्व को बचाने और मछुआरों के जीवन यापन के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।