
लव कुमार मिश्र
मंगलवार को पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर कश्मीर के निवासियों द्वारा किए गए हमले ने एक बार फिर हमें अगस्त 2000 में अमरनाथ यात्रा के बेस कैंप पर हुए अमरनाथ तीर्थयात्रियों की नृशंस हत्या की याद दिला दी। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा (जो प्रतिबंधित संगठन है) से जुड़े एक आतंकी संगठन द्वारा किया गया बताया जा रहा है। यह स्थान श्रीनगर से 95 किमी दूर है।
2 अगस्त की शाम, जब यात्री कैंप में ठहरे हुए थे, तभी हथियारबंद आतंकियों ने हमला किया और एक ही कैंप में 32 तीर्थयात्रियों को मार डाला। कुल मिलाकर दो दिनों में 105 लोगों की हत्या हुई थी।
आज भी, देश के विभिन्न हिस्सों से आए पर्यटक हेजन वैली गए थे, जहां उन्हें उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया। केवल हिंदुओं पर ही नजदीक से गोली चलाई गई। यह हमें 90 के दशक की शुरुआत में कश्मीर घाटी से हिंदुओं को साफ करने की साजिश की याद दिलाता है।
यह दुखद संयोग है,पहलगाम की घटना तब हुई,जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति भारत के दौरे पर आए हैं
आज से २३ साल पहले जब,अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत आए,तब अनंतनाग में ३६ सरदारों को मार दिया गया था,पहलगाम भी अनंतनाग में ही है।
मैंने उस दौर में तीन साल टाइम्स ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ काम किया है, जब आतंकवाद चरम पर था। आज की घटना भी दुश्मन की सोची-समझी साजिश का हिस्सा प्रतीत होती है।
मुझे आज भी 2000 में पहलगाम में हुए तीर्थयात्रियों के नरसंहार की याद है। रात का खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में था, तभी जम्मू-कश्मीर सरकार के जनसंपर्क निदेशक जेआर जंदियाल का फोन आया, जिन्होंने मुझे इस भयानक खबर की जानकारी दी। चूंकि सूर्यास्त के बाद वहां कर्फ्यू जैसा माहौल होता था, मैंने उनसे अपनी रिपोर्ट भेजने के लिए उनके फैक्स मशीन के इस्तेमाल की अनुमति मांगी, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया।
मैंने हमारे संपादक श्री दिलीप पडगांवकर को फोन कर रिपोर्ट के लिए न्यूज़ सर्विस डेस्क को सतर्क रहने और अखबार में स्थान सुरक्षित रखने को कहा, क्योंकि टीओआई का दफ्तर शाम को बंद हो जाता था। श्री जंदियाल की मदद से मैं फारूक अब्दुल्ला से बात कर सका और पुलिस महानिदेशक ए.के. सूरी का आधिकारिक बयान भी मिला। कुछ बचे हुए तीर्थयात्रियों के बयान डॉक्टरों के माध्यम से मिले।
अगले दिन टाइम्स ऑफ इंडिया एकमात्र अखबार था, जिसमें पहलगाम से सबसे ताजा और प्रत्यक्ष रिपोर्ट छपी थी।
मैं खुद एक अमरनाथ यात्रा के दौरान जयपुर से आए एक साधु के टेंट कैंप में पहलगाम में एक रात ठहरा था, और अगली सुबह चंदनवारी की ओर पैदल यात्रा शुरू की थी।