विशेष राज्य के सवाल पर भाजपा के विश्वासघात व जदयू के आत्मसमर्पण को बिहार कभी माफ नहीं करेगा*

गरीबी के ऐतिहासिक दुष्चक्र से राज्य को निकालने के लिए कोई विशेष पैकेज भी नहीं मिला

नव राष्ट्र मीडिया
पटना 23 जुुलाई

भाकपा-माले , राजद आदि विपक्षी दलों में केंद्रीय बजट की आलोचना की है। वाम दलों के विधायकों ने आज विधानमंडल परिसर में भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया और कार्यकर्ताओं ने बाहर प्रति रोध मार्च भी निकाला। विपक्षी दलों ने कहा कि केंद्रीय बजट में भी चालाकी के साथ बिहार की अपेक्षा की गई है। माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार के विशेष राज्य के दर्जे के सवाल पर भाजपा के महाविश्वासघात और भाजपा के समक्ष जदयू के पूर्ण आत्मसर्मपण को बिहार की जनता कभी माफ नहीं करेगी.बिहार की कृपा पर देश में चल रही मौजूदा मोदी सरकार ने कैबिनेट में बिना कोई चर्चा किए बिहार-झारखंड बंटवारे के समय से ही बिहार के विशेष राज्य की न्यायसंगत मांग को ठुकरा कर बिहार और 13 करोड़ बिहारियों के स्वाभिमान और हक के साथ महाविश्वासघात किया है.

उन्होंने कहा कि जदयू ने निर्लज्ज आत्मसमर्पण के साथ विशेष राज्य की मांग को विशेष पैकेज में बदल दिया है, लेकिन केंद्रीय बजट में बिहार को कोई विशेष पैकेज भी नहीं मिला.

केंद्रीय बजट में ‘पूर्वोदया’ योजना के तहत कहा जा रहा है कि बिहार को बहुत कुछ दिया गया, लेकिन सरकार की यह योजना मूलतः हाइवे के निर्माण पर केंद्रित है, जो मूलतः मोदी के काॅरपोरेट मित्रों के हितों में ध्यान रखकर तैयार किया गया है. इन योजनाओं से जनता को सही अर्थों में न तो कोई लाभ मिलेगा और न ही कोई रोजगार.

खेती में व्यापक सुधार और कृषि आधारित उद्योंगों के विकास के बिना बिहार के विकास की हर बात बेमानी है. कृषि का अधिकांश बटाईदार किसानों पर निर्भर है, लेकिन बजट में इन तबकों की घोर उपेक्षा की गई है. ग्रामीण मजदूरों व युवाओं के रोजगार के लिए एक शब्द नहीं कहा गया है. आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी आदि कार्यकर्ताओं को सरकार ने एक बार फिर छला है.

दरअसल, भाजपा के एजेंडे में बिहार को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने का एजेंडा कभी रहा ही नहीं. वह इसे काॅरपोरेट घरानों के लिए सस्ता श्रम उपलब्ध कराने का जोन बना कर रखना चाहती है.

हालत यह हो गई कि अभी हाल ही में जारी नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सतत विकास सूचकांक में बिहार देश में सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है. विगत साल बिहार सरकार द्वारा कराए गए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में भी राज्य में – भयावह गरीबी, आवासहीनता, पलायन, कर्ज के भारी बोझ – की तस्वीर उभरकर सामने आई थी. रिपोर्ट के अनुसार 95 लाख से अधिक परिवार महागरीबी रेखा के नीेचे पाए गए. राज्य की बड़ी आबादी पलायन को मजबूर है और देश के दूसरे हिस्सों में बेहद भयावह स्थितियों में काम कर रही है. राज्य की ऐसी दयनीय स्थिति के लिए भाजपा-जदयू ही जिम्मेवार है. ये स्थितियां बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग को पुष्ट कर रही है।
आम बजट पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि
आज के बजट ने बिहार के लोगों को फिर निराश किया है। बिहार को प्रगति पथ पर ले जाने के लिए एक रिवाइवल प्लान की ज़रूरत थी और जिसके लिए विशेष राज्य के दर्जे के साथ विशेष पैकेज की सख़्त ज़रूरत है।

रूटीन आवंटन तथा पूर्व स्वीकृत, निर्धारित व आवंटित योजनाओं को नई सौग़ात बताने वाले बिहार का अपमान ना करें। पलायन रोकने, प्रदेश का पिछड़ापन हटाने तथा उद्योग धंधों के साथ साथ युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए हम विशेष राज्य के दर्जे की माँग से इंच भर भी पीछे नहीं हटेंगे।

राज्यों को मिलने वाले सामान्य आवंटन को विशेष पैकेज बताकर बिहार को गुमराह किया गया

; राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने केन्द्रीय बजट को बिहार के लिए निराशाजनक बताते हुए कहा है कि बजट में अन्य राज्यों के लिए जो सामान्य हिस्सेदारी है उसे हीं बिहार के लिए विशेष पैकेज बताकर बिहार के लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्र की एनडीए सरकार तो अपने गठन काल से हीं बिहार के साथ सौतेला व्यवहार करती आ रही है। पर चुंकि इसबार वह जदयू के समर्थन से हीं सत्ता हासिल की है, इसलिए उम्मीद किया जा रहा था कि इसका लाभ बिहार को मिलेगा। जैसा कि जदयू के द्वारा भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की बात की जा रही थी। पर पिछले कई दिनों से जदयू के बदले तेवर से लगा कि विशेष राज्य का दर्जा नहीं तो विशेष पैकेज के द्वारा हीं क्षतिपूर्ति की जाएगी। पर आज लोकसभा में पेश बजट में ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया। जिन हाईवे की चर्चा की गई है वो तो केन्द्र की पूर्व घोषित योजना का हीं अंश है। इसी प्रकार पूर्व स्वीकृत कई योजनाओं का रिपैकेजिंग किया गया है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि राजद तो पहले से हीं कह रही है कि ‘मोदी मॉडल’ विशेष पैकेज से बिहार को कोई लाभ मिलने वाला नहीं है जबतक कि ठोस योजना के तहत बिहार के लिए औधोगिक ईकाईयों के साथ हीं आधारभूत संरचनाओं एवं स्वास्थ्य – शिक्षा जैसी मौलिक आवश्यकताओं के लिए विशेष संसाधन उपलब्ध नहीं कराया जाता।
जदयू भले हीं अपनी साख बचाने और अपने को तसल्ली देने के लिए जो भी कहे पर वास्तविकता यही है कि भाजपा ने उसे ठेंगा दिखा दिया और जदयू चाहे जो भी तर्क दे पर हकीकत यही है कि उसने बिहार को धोखा देने का काम किया है।

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