संजय श्रीवास्तव
आरा। भोजपुर जिले में बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम के लिए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के भोजपुर में सहयोगी संगठन दिशा एक प्रयास ने बाल विवाहों की रोकथाम के लिए धर्मगुरुओं के बीच चलाया जागरूकता अभियान साथ ही प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया और जागरूकता रथ को रवाना किया गया। जागरूकता रथ को रवाना करने वाले महंत और मौलवी ने कहा कि मैं आज से इस अपराध में शामिल नहीं होऊंगा पहले हम बच्ची और बच्चों का उम्र नहीं पूछते थे जिसका शादी संपन्न कराना होता था परंतु अब मैं दिन रखने के समय में ही आधार कार्ड की मांग करूंगा और इस बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को सत प्रतिशत सफल बनाने में अपना सहयोग दूंगा। भोजपुर के विभिन्न प्रखंडों में जागरूकता रथ के माध्यम से आम जनता और सभी ग्रामीणों को खास कर विवाह कार्य को संपन्न कराने वालों को कानूनी प्रावधानों से अवगत कराना है।संगठन की निदेशिका कुमारी सुनिता सिंह ने कहा धर्मगुरुओं से मिला सहयोग व समर्थन अभिभूत करने वाला, इस अक्षय तृतीया जिले में नहीं होगा एक भी बाल विवाह जेआरसी कानूनी हस्तक्षेपों के जरिए बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 416 जिलों में जमीन पर काम कर 250 से भी ज्यादा नागरिक संगठनों का नेटवर्क है जिसने पिछले वर्षों में दो लाख से ज्यादा बाल विवाह रुकवाए हैं और पांच करोड़ से ज्यादा लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई है।जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के सहयोगी संगठन दिशा एक प्रयास की निदेशिका कुमारी सुनिता सिंह ने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जरूरी जागरूकता की कमी है। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत दंडनीय अपराध है। इसमें किसी भी रूप में शामिल होने या सेवाएं देने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें बाराती और लड़की के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर, साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जाएगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया क्योंकि यह वो सबसे महत्वपूर्ण वर्ग है जो विवाह संपन्न कराता है। हमने उन्हें समझाया कि बाल विवाह और कुछ नहीं बल्कि बच्चों के साथ बलात्कार है। अठारह वर्ष से काम उम्र की किसी बच्ची से वैवाहिक संबंधों में भी यौन संबंध बनाना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत बलात्कार है। बेहद खुशी का विषय है कि आज पंडित और मौलवी इस बात को समझते हुए न सिर्फ इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि खुद आगे बढ़कर बाल विवाह नहीं होने देने की शपथ ले रहे हैं। यदि पुरोहित वर्ग बाल विवाह संपन्न कराने से इनकार कर दे तो देश से रातोंरात इस अपराध का सफाया हो सकता है। इस अभियान में उनके आशातीत सहयोग व समर्थन से हम अभिभूत हैं। इसको देखते हुए हमारा मानना है कि जल्द ही हम बाल विवाह मुक्त भोजपुर के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।इस अभियान में कुमुद कुमार सिंह, रजत कुमार, राजेश कुमार राय, अखिलेश कुमार यादव, रिचा कुमारी, तारा शेखर, संजीत कुमार सिंह, रंजू कुमारी, अंजली कुमारी आदि शामिल थे।