बंगाल ब्यूरो

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच चल रहा टकराव राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वार पहुंच गया है। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रपति से आवेदन किया है कि वह बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को बंगाल के राज्यपाल पद से हटाएं।
पार्टी ने आरोप लगाया कि राज्यपाल लगातार संवैधानिक लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन कर गैर संवैधानिक और गैर कानूनी काम कर रहे हैं। वह केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के निर्देश पर काम कर रहे हैं। उन्हें तत्काल उनके से हटाया जाए। इधर राज्यपाल ने उनके आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि वह अपने संवैधानिक दायित्व का पालन कर रहे हैं। उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।

तृणमूल एमपी सुखेंदु शेखर रॉय ने बुधवार को टीएमसी के पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, “पिछले साल नए राज्यपाल नियुक्ति की गई है। ऐसा राज्यपाल न तो बंगाल और न ही कोई राज्य ने देखा है। वह लगातार संवैधानिक नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। संविधान की लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन कर रहे हैं। राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद हैं। संविधान के नियमानुसार वह राज्य मंत्रिमंडल के सुझाव पर काम करेंगे, लेकिन जब से उनकी नियुक्ति हुई है, वह न केवल सीएम पर हमला बोल रहे हैं, वरन प्रत्येक दिन ट्वीट कर और संवाददाता सम्मेलन कर राज्य प्रशासन और पुलिस की भी आलोचना कर रहे हैं। यह उनके अधिकार के क्षेत्र के बाहर हैं। उन्होंने सीएम से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने तक की बात कही है।
उन्होंने कहा कि तृणमूल सांसदों द्वारा हस्ताक्षिरत ज्ञापन राष्ट्रपति को कल सौंपा गया है। ज्ञापन में राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया है कि ये राज्यपाल पद योग्य नहीं हैं। जानबूझ कर संविधान और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की अवहेलना कर रहे हैं। संविधान की धारा 156 उपधारा 1 के अनुसार राष्ट्रपति असंवैधानिक और गैर कानूनी काम करने के कारण उन्हें राज्यपाल पद से हटाएं।
राज्यपाल ने कहा- मैं अपने संवैधानिक दायित्व का कर रहा हूं निर्वहन
दूसरी ओर, राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने संविधान की शपथ ली है और वह अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हूं। गवर्नर ने कहा, “मैं राजनीति से कोसों दूर हूं। मैं हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता हूं कि कोई मेरी अग्निपरीक्षा ले लें। मैंने केवल अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन किया है और कुछ गंभीर मुद्दे उठाया हूं। उन्होंने कहा देश के किसानों को प्रत्येक वर्ष 12000 रुपये मिल रहे हैं, लेकिन बंगाल के अन्नदाता को ये पैसे नहीं मिल रहे हैं, तो क्या राज्य के राज्यपाल के रूप में उन्हें दर्द नहीं होगा? राज्य के 70 लाख किसानों के हितों की वंचित किया गया है।”

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