सामाजिक और कानूनी सुधार के एजेंडे को चुनावी गणित से अलग करना चाहिए : माले

नव राष्ट्र मीडिया
पटना ।

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि सामाजिक और कानूनी सुधार के एजेंडे को चुनावी गुणा-गणित के हिसाब से अलग करना चाहिए. भाजपा ने एक बार फिर इस राग को छेड़ा है और इसके जरिए वह वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है.

उन्होंने आगे कहा कि भारत विविध संस्कृतियों और रीति-रिवाजों का देश है. ऐसे में देश की विविधता को खत्म करने और समान नागरिक संहिता के नाम पर एकरूपता थोपने का कोई भी प्रयास प्रतिकूल साबित हो सकता है. यह पर्सनल लाॅ में प्रगतिशील महिला-समर्थक बदलावों को सुविधाजनक बनाने की बजाए उलटे बाधित कर सकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने आज पूरे देश को हिंसा व उन्माद की आग में झोंक दिया है. मणिपुर जल रहा है. उत्तराखंड में आग लगी हुई है. और अब समान नागरिक संहिता के नाम पर आग लगाकर भाजपा नया चुनावी स्टंट करना चाह रही है. यह हमें स्वीकार नहीं है.

चार वर्षीय स्नातक कोर्स को संपूर्णता में खारिज करने की जरूरत : माले

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत राजभवन द्वारा चार वर्षीय स्नातक कोर्स लागू करने की प्रक्रिया पर पूरी तरह से रोक लगाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा इस पर व्यक्त की गई असहमति सराहनीय है. राज्य सरकार इसे संपूर्णता में खारिज करने का प्रस्ताव ले.

उन्होंने आगे कहा कि चार वर्षीय स्नातक कोर्स नई शिक्षा नीति 2020 पर आधारित है. यह पूरी नीति ही शिक्षा के निजीकरण और दलित-वंचित व गरीब तबके को शिक्षा से बाहर कर देने की एक गहरी साजिश है. बिहार के माननीय राज्यपाल महोदय केंद्र सरकार के एजेंडे को आनन-फानन में लागू करने पर तुले हुए हैं. इसके लागू हो जाने से फीस में लगभग दुगुनी बढ़ोतरी होगी, जिसकी मार अभिभावकों पर पड़ेगी. बिहार के विश्वविद्यालय पहले से ही आधारभूत संरचनाओं की कमी की मार झेल रहे हैं. सत्र भारी अनियमितता का शिकार है. इसे ठीक करने की बजाए चार वर्षीय स्नातक कोर्स लादा जा रहा है जो स्थिति को और जटिल व गंभीर बनाएगा.

यह भी कहा कि इस कोर्स के तहत ऐसे विषयों की पढ़ाई की बात की जा रही है जो छात्रों के भीतर अवैज्ञानिक सोच एवं अंधविश्वास को बढ़ावा देगा. भारतीय ज्ञान परंपरा के नाम पर ब्राह्मणवादी विचारों को बढ़ावा दिया जाएगा. साथ ही, चार वर्ष में किसी भी वर्ष छात्र को पढ़ाई छोड़ देने का अधिकार होगा. कुल मिलाकर यह कोर्स शिक्षा की बर्बादी और तबाही का नया दस्तावेज है. भाकपा-माले इसका पुरजोर विरोध करती है।

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