विजय शंकर
पटना: एक तरफ सूबे की सरकार लोगों को रोजगार देने से लेकर युवाओं को स्वरोजगार देने की बात कर रही है। वहीं बिहार में रेरा खुलेआम कानून की धज्जी उड़ा रहा है। अगर ऐसा नहीं है तो जिस सोच के साथ सरकार ने रेरा की स्थापना की थी, आज उसके ही मुलाजिम उसके प्रगति में बाधक बन गए हैं। आए दिन किसी न किसी कंपनी पर गाज गिराना, बेवजह आरोप लगाना, किसी भी प्रोजेक्ट का निबंधन रेरा एक्ट के हिसाब से नियत समय पर नहीं दिया जाना फिर उसके प्रोजेक्ट को सिरे से खारिज कर देना उनकी नियति में शामिल हो गई है। रियल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी (रेरा) ने पल्वी राज कंस्ट्रक्शन के तीन अपार्टमेंट प्रोजेक्टों के लिये रजिस्ट्रेशन के आवेदनों को खारिज कर दिया है। इसके लिये कंपनी के सलाहकार ने रेरा के मंसूबे पर सवाल उठाया है। साथ ही पूरे मामले पर अपना स्पष्टीकरण भी दिया।
रेरा ने कंपनी के तीन प्रोजेक्ट्स गोवा सिटी, मुंबई रेसिडेंसी और बॉलीवुड रेसिडेंसी के निबंधन के आवेदन को खारिज कर दिया। बिल्डर पर प्रोजेक्ट का नक्शा नहीं पास करवाने का आरोप लगाया है। हालांकि कंपनी ने ग्राम पंचायत के द्वारा प्रोजेक्ट का नक्शा पास करवाया है, जिसे रेरा ने अवैध करार दिया है। वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत से पास नक्शे के आधार पर ही कई बिल्डर अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिसे रेरा ने निबंधित भी किया है।
कंपनी के सलाहकार ने ये भी बताया कि पल्वी राज कंस्ट्रक्शन ने रेरा के जितने मापदंड थे उसको ससमय पूरा किया, बावजूद इसके इस तरह कदम उठाया जाना विभाग पर ही सवाल खड़ा करता है। यही नहीं पल्वी राज कंस्ट्रक्शन से जुड़ा मामला ट्रिब्यूनल कोर्ट में चल रहा है। 1 सितंबर को मामले की सुनवाई भी होनी है।
रेरा अधिनियम सेक्शन 5(2) के तहत किसी भी प्रोजेक्ट के निबंधन को आवेदन की तिथि से 30 दिनों के अंदर निबंधन या खारिज करने का प्रावधान है। अगर रेरा 30 दिनों के अंदर कोई निर्णय नहीं लेता है तो वह प्रोजेक्ट कानूनी तौर पर स्वतः निबंधित माना जाता है। रेरा के इस अधिनियम के हिसाब से पल्वी राज कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. के प्रोजेक्टस गोवा सिटी, बॉलीवुड रेसीडेंसी को रजिस्टर्ड क्यों नहीं माना जाए।
पल्वी राज कंस्ट्रक्शन के प्रोजेक्टों के आवेदन को लगभग 2 साल बाद खारिज कर दिया जाना कहीं न कहीं बिहार रेरा नियमों को ठेंगा दिखाने जैसा है। जब एक ही प्रकार के बहुत सारे प्रोजेक्ट्स को रेरा द्वारा रजिस्टर्ड किया जाता है तो फिर पल्लवी राज कंस्ट्रक्शन कंपनी को क्यों नहीं ?
जब सारी प्रक्रियाओं को नियत समय पर कंपनी के द्वारा पूरा किया गया तो फिर बेवजह उलझाकर किसी प्रकार की कार्रवाई किया जाना कहीं न कहीं रेरा के आलाधिकारियों की दुर्भावना से ग्रसित मानसिकता को दर्शाता है। किसी पर बगैर आरोप सिद्ध हुए कंपनी पर कार्रवाई करना न्यायोचित नहीं है। रेरा के इस फैसले से कंपनी को आर्थिक और मानसिक दोनों स्तर पर नुकसान झेलना पड़ रहा है, जिसकी पूरी जवाबदेही रेरा पर होगा।