विजय शंकर
पटना : जनता दल यूनाइटेड के पूर्व विधान पार्षद और प्रवक्ता प्रो0 रणबीर नंदन ने झारखंड में भोजपुरी व मगही की कानूनी मान्यता समाप्त किए जाने पर सवाल किया है। उन्होंने पूछा है कि झारखंड की यूपीए सरकार आखिर भोजपुरी व मगही भाषा का अपमान क्यों कर रही है? हेमंत सोरेन सरकार ने इस प्रकार का निर्णय क्यों लिया है? जिस भाषा पर गर्व किया जाता है, उसकी कानूनी मान्यता को रद्द किए जाने से झारखंड सरकार को क्या लाभ मिलने वाला है? सरकार में शामिल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल इस भाषा के अपमान पर चुप क्यों है?
प्रो0 नंदन ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने बोकारो और धनबाद की क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को हटा दिया है। उर्दू को क्षेत्रीय भाषा की सूची में शामिल किया है। हमें इस पर कोई ऐतराज नहीं है कि वे किसी भाषा को कानूनी रूप से मान्यता दे रहे हैं। लेकिन, एक ऐसी भाषा, जो इन इलाकों में बहुतायत में बोली जाती है। वहां पर इस प्रकार से भोजपुरी और मगही का अपमान आम जनभावना का अपमान है। इस पूरे मामले पर कांग्रेस और राजद जैसी पार्टियां खामोश है, यह भी चिंताजनक है।
प्रो0 नंदन ने कहा कि हेमंत सरकार आने वाले दिनों में अन्य जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भी भोजपुरी, मगही और अन्य भाषाओं को समाप्त कर देगी। बिहार का एक समय में हिस्सा रहे इस प्रदेश में तमाम लोग मिल-जुलकर रहते रहे हैं। इस प्रकार के कार्य के जरिए एक वर्ग विशेष को बाहरी साबित करने की कोशिश की जा रही है। राजद का इस पूरे मामले पर चुप रहना सबसे आश्चर्यजनक है। राजद अध्यक्ष तो खुद भोजपुरी क्षेत्र से आते हैं। उनको इस विषय पर बोलना चाहिए था।
प्रो0 रणबीर नंदन ने कहा कि भोजपुरी और मगही के अपमान के मामले को जोरदार तरीके से उठाया जाएगा। इस प्रकार से कांग्रेस और राजद मिलकर देश और विदेश में बोली जाने वाली क्षेत्रीय भाषा का अपमान नहीं कर सकती है। एक तरफ कांग्रेस क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने की बात करती है और दूसरी तरफ उनके मन में एक भाषा के प्रति हीन भावना है। उन्हें समझना चाहिए कि भोजपुरी केवल बिहार में नहीं, नेपाल और फिजी जैसे देशों में भी बोली जाती है। 10 करोड़ से अधिक भोजपुरी भाषी लोगों का अपमान हेमंत सोरेन सरकार ने किया है।