बिहार में पिछले तीस साल से राज कर रहे दो समाजवादी नेताओं _ नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के प्रेस से संबंध पर नजर
लव कुमार मिश्र
यह कहानी है राष्ट्र के विभिन्न राज्यों में मुख्य मंत्रियों और मीडिया के संबंध के बारे में है
लालू अपने वेस्पा स्कूटर से बुध मार्ग स्थित प्रदीप दैनिक और the searchlight तथा फ्रेजर रोड स्थित आर्यावर्त और इंडियन नेशन आते,समाचार संपादक के पास जाकर निवेदन के साथ अपना हस्तलिखित प्रेस रिलीज देते,पास ही पीटीआई और UNI भी जाते,वे आकाशवाणी जरूर जाते और समाचार को अरुण कुमार वर्मा जो एडिटर थे अवश्य देते। इनका कहना था छपरा के लोग शाम वाला समाचार सुनते हैं।यह प्रक्रिया संसद सदस्य के रूप में रहा।स्मरण है मुख्यमंत्री रहते भी जनसंपर्क निदेशक के साथ भी जाते हैं।
जो रिपोर्टर उनके खिलाफ थोड़ा भी लिखता मालिक को फोन कर नौकरी से निकलवा देते,एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक का रिपोर्टर इनका फेवरेट था,उसका बीट संपादक ने बदल दिया,मुख्य मंत्री ने दिल्ली में उद्योगपति मालिक को फोन कर ना सिर्फ बिट वापिस करवाया,स्थानीय संपादक को पटना से ट्रांसफर भी करवा दिया।
नीतीश कुमार के कॉलेज काल में अरुण सिन्हा मित्र थे,बाद में वे पटना से नव प्रकाशित एक दैनिक के मुख्य संवाददाता बन गए।नीतीश जो लोक सभा सदस्य बने,लालू से अलग होकर समता पार्टी बनाई।वह भी प्रेस रिलीज लेकर स्वयं अखबारों में जाते थे,कभी जगह मिल जाती,कभी स्पेस नहीं रहने के कारण कूड़ेदान में चली जाती,नीतीश ने प्रेस रिलीज देते हुए चीफ रिपोर्टर से रिक्वेस्ट किया ” कुछ तो छाप दिया करो”।मुख्य संवाददाता ने भावी मुख्य मंत्री को डांट वाले स्वर में कहा” हर दिन तुम्हारा ही स्टेटमेंट छपेगा क्या”.आज उसी न्यूज पेपर में नीतीश कुमार प्रतिदिन फोटो के साथ नजर आते हैं बिना पैरवी।
हां,उनका सरकारी तंत्र सतर्क रहता है, किसी ने उल्टा सीधा किया तो विज्ञापन बंद या कम।
इन दिनों के पूर्ववर्ती मुख्य मंत्री,जगन्नाथ मिश्र ने 1982 में बिहार प्रेस बिल लाया,जिसे राष्ट्र व्यापी विरोध के कारण वापस लेना पड़ा।आश्चर्य जगन्नाथ जी खुद मुजफ्फरपुर में ही पटना के आर्यावर्त के संवाददाता रहे थे और फिर मुख्य मंत्री बन गए तब पाटलिपुत्र टाइम्स दैनिक भी निकाला जिसके करता धरता इनके पुत्र थे,सबसे लेटेस्ट मशीन मंगवाया गया था।
मुख्य मंत्री के रूप में वे प्रतिदिन पांच बजे शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करते,बाहर दौरे से लौटने पर भी प्रेस कॉन्फ्रेंस उनके आवास पर होता था, वे खुद रिपोर्ट भी फोन पर लिखवाते थे,दिल्ली में योजना आयोग में बिहार के तरफ से दिए गए मांग पत्र पर बिहार भवन से फोन कर खुद लिखवाते थे,उन्हें विभिन्न अखबारों का डेड लाइन पता होता था।
एक ऐसे भी मुख्य मंत्री थे जो पत्रकारों को टुकड़ खोड कहते थे,एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह कटाक्ष किया था कि टुकड़ खोड लोग हमारे खिलाफ लिखते रहते हैं।
बिंदेश्वरी दुबे का एक फोटो जिसमें वे मुर्गा का टांग खा रहे थे,पटना के एक दैनिक में फर्स्ट पेज पर छपा,अगले दिन फोटोग्राफर की पेशी हुई,मालिक भी नाराज हो गए।
दुबे जी ने भी दैनिक अमृत वर्षा निकाला था।
पहले मुख्य मंत्री निवास में जन संपर्क विभाग की इकाई का नहीं होगा था,लेकिन नीतीश कुमार के १ आणि मार्ग आवास में एक स्थाई कार्यालय स्थापित हैं, मुख्यमंत्री जी की पब्लिसिटी को अनवरत चालू रखने के लिए । नीतीश अब structured इंटरव्यू नहीं देते हैं
बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल जब मुख्य मंत्री थे,उन्होंने अपने मित्र और the Searchlight दैनिक के असिस्टेंट एडिटर ,शंभूनाथ झा को अपनी कैबिनेट में कानून और जन संपर्क मंत्री नियुक्त किया था, उन्हें विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया गया था।
जगन्नाथ मिश्र ने लिंक तथा Patriot के संवाददाता,चंद्र मोहन मिश्र को भी विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया था तो PTI के ब्यूरो चीफ एस के घोष को भी विधान परिषद में जी भेजा गया था,,अब्दुल गफूर मुख्यमंत्री रहते भी प्रतिदिन शाम में पी टी आई में बैठते थे।