पहाड़ी राज्यों में जल विद्युत परियोजनाओं का कार्यान्वयन प्रगति पर

केंद्र सरकार का तमिलनाडु और राजस्थान में 5900 मेगावाट परमाणु बिजली उत्पादन का लक्ष्य

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल राज्यों के साथ समन्वय बनाकर केंद्रीय परियोजनाओं को चढ़ा रहे हैं सिरे

नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो

चंडीगढ़/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विद्युत उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि पड़ोसी देशों को बिजली निर्यात करने में भी समक्ष बना है। वर्ष 2024-25 में देश में जल विद्युत उत्पादन में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं, नवीनीकरण ऊर्जा उत्पादन स्त्रोतों को भी तलाशा जा रहा है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल, राज्य सरकारों के साथ समन्वय बनाकर केंद्रीय परियोजनाओं के क्रियान्वयन में अहम अहम भूमिका निभा रहे हैं।
वर्ष 2025-26 में 34,855 मेगावाट नवीनीकरण ऊर्जा क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इनमें सौर ऊर्जा से लेकर पवन और हाइब्रिड बिजली उत्पादन शामिल है। वहीं केंद्र सरकार का लक्ष्य पहाड़ी क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा देना है और मैदानी इलाकों में सौर ऊर्जा को बड़ा विकल्प बनाने पर फोकस है। इसके साथ ही, जिन राज्यों में कोयले का उत्पादन है, उनमें थर्मल पावर प्लांट लगाने की भी योजना है। वर्ष 2024-25 (अप्रैल, 2024 से फरवरी, 2025) के दौरान जल विद्युत उत्पादन 1,39,780 मिलियन यूनिट (एमयू) था, जबकि 2023-24 की इसी अवधि के दौरान यह 1,27,038 एमयू था, जो जल विद्युत उत्पादन में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल का देशभर में ग्रिड स्टेशनों के साथ पावर प्लांट और ट्रांसमिशन अपग्रेड पर फोकस है। अभी हाल ही में केंद्रीय मंत्री राष्ट्रीय ट्रांसमिशन समिति की बैठक की अध्यक्षता की, समिति प्रमुख ट्रांसमिशन परियोजनाओं के लिए कार्यान्वयन पैकेज तैयार करके अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) के विस्तार को आगे बढ़ा रही है। इन पहलों से भारत के ऊर्जा बुनियादी ढांचे में निवेश को काफी बढ़ावा मिलेगा, राष्ट्रीय ट्रांसमिशन नेटवर्क मजबूत होगा, बढ़ती बिजली की आपूर्ति भी होगी।

2025-26 में 277 गीगावाट की मांग
20वें विद्युत ऊर्जा सर्वेक्षण की मध्यावधि समीक्षा के अनुसार 2025-26 में देश में उपभोक्ताओं की मांग 277 गीगावाट रहने की उम्मीद है। जबकि देश की वर्तमान स्थापित उत्पादन क्षमता 470 गीगावाट है। सरकार ने अप्रैल, 2014 से 238 गीगावाट उत्पादन क्षमता जोड़कर बिजली की कमी के गंभीर मुद्दे का समाधान किया है। 2014 से 2,01,088 सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) ट्रांसमिशन लाइनों, 7,78,017 एमवीए परिवर्तन क्षमता और 82,790 मेगावाट अंतर-क्षेत्रीय क्षमता को जोड़ा गया है, जिससे देश के एक कोने से दूसरे कोने तक 1,18,740 मेगावाट बिजली स्थानांतरित करने की क्षमता है।

सात राज्यों में जल और तीन राज्यों में परमाणु बिजली का होगा उत्पादन
केंद्र सरकार की ओर से तापीय बिजली उत्पादन के साथ जल और परमाणु विद्युत उत्पादन बढ़ाने की परियोजना तैयार की गई है। हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में केंद्र, राज्य व निजी क्षेत्र में 2025-26 में 6040 मेगावाट उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल व तेलंगाना में तापीय बिजली थर्मल प्लांट के जरिये 9280 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। वहीं केंद्र सरकार द्वारा तमिलनाडु व राजस्थान में 5900 मेगावाट परमाणु बिजली का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।

पीएम देशभर में बिजली सुधार के लिए प्रतिबद्ध
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके अनुरूप, सस्ती और विश्वसनीय बिजली उपलब्ध कराने और राज्यों बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री द्वारा बिलासपुर जिले में स्थित एनटीपीसी के 800 मेगावाट सीपत सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट स्टेज- III की आधारशिला रखी। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (सीएसपीजीसीएल) की 15,800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली पहली सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर परियोजना भी शुरू होगी। पश्चिमी क्षेत्र विस्तार योजना (डब्ल्यूआरईएस) के तहत 560 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली पावरग्रिड की तीन पावर ट्रांसमिशन परियोजनाओं की शुरुआत की गई।

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