न्यूज ब्यूरो
पटना। विधालय परीक्षा समिति पर डीएलएड परीक्षा के नाम पर 15 करोड़ रूपए का घोटाला करने का आरोप तेज हो गया है। राजद समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने इस संबंध में जांच की मांग तेज कर दी है और छात्रों को परीक्षा शुल्क लौटाने की मांग भी की है।
इन दलों ने कहा कि बिहार में शिक्षा के नाम पर लूट अब आम बात हो गई है। बिहार विधालय परीक्षा समिति द्वारा वर्ष 2019 में बिहार के सरकारी एवं निजी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में डीएलएड सत्र 2020-22 में नामांकन के लिए विद्यार्थियों से ऑनलाइन आवेदन लिया गया था।जिसमें तकरीबन एक लाख अस्सी हजार विद्यार्थियों ने आवेदन किया था।जिसमें बिहार बोर्ड द्वारा संयुक्त प्रवेश परीक्षा आवेदन शुल्क के रूप ने 960 रुपए सामान्य वर्ग एवं 760 रुपए आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों से वसूली की गई थी।इस हिसाब राज्य के 1 लाख 80 हजार विद्यार्थियों से लगभग 15 करोड़ रुपया बिहार बोर्ड द्वारा प्रवेश परीक्षा के नाम पर शुल्क के रूप में वसूल किया गया ।आवेदन किए हुए विद्यार्थियों ने परीक्षा तिथि के अनुसार अपना तैयारी भी करने लगे लेकिन बीते वर्ष कोरोना संक्रमण की वजह से परीक्षा को टाल दिया गया।इससे संबंधित विद्यार्थियों ने बिहार बोर्ड से परीक्षा के लिए गुहार भी लगाई लेकिन परीक्षा नहीं हो सका।
इसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा मेधा अंक के आधार पर नामांकन लेने का आदेश जारी हुआ।जिसके बाद बिहार के शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय ने अपने स्तर पर डीएलएड में नामांकन लिया।लेकिन विद्यार्थियों द्वारा नामांकन लेने के बाद भी बिहार बोर्ड को शुल्क वापस करने का याद नहीं आयी।बाद में विद्यार्थियों द्वारा निवेदन करने के बाद इसके आवेदन किए हुए विद्यार्थियों से ऑनलाइन बैंक डिटेल अपडेट करने का सूचना जारी हुआ।विद्यार्थियों ने अपना अकाउंट अपडेट तो कर दिया लेकिन एक वर्ष से अधिक हो गए अभी तक विद्यार्थियों के खाते पर आवेदन शुल्क वापस नहीं किये गये।जिससे विद्यार्थीयों में निराशा के साथ साथ काफी आक्रोश भी है।
विधार्थियों को शुल्क वापसी के संबंध में पूछे जाने पर बिहार बोर्ड द्वारा बार – बार अगले महीने का आश्वासन दिया जाता है। लेकिन आवेदन लिए दो वर्ष होने को है अभितक विद्यार्थियों का शुल्क वापस नहीं किया गया । इससे तो यही लग रहा है कि बिहार बोर्ड विधार्थियों का करोड़ो रुपया हजम कर लेना चाहती है।