लोक शिकायत निवारण में अरूचि एवं संवेदनहीनता के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध 5,000/- रुपया का दंड

विभागीय कार्रवाई प्रारंभ करने का आदेश दिया गया; दो अन्य लोक प्राधिकारों से शो-कॉज किया गया

नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो

पटना । बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम

नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो

पटना। जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा शुक्रवार को अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में तथा बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 के तहत प्रथम अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में तीन लोक प्राधिकारों के विरूद्ध कार्रवाई की गई। एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध 5,000/- रुपया का दंड लगाया गया तथा विभागीय कार्रवाई प्रारंभ करने का आदेश दिया गया। दो अन्य लोक प्राधिकारांे से स्पष्टीकरण किया गया।

डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के कुल 18 मामलों की सुनवाई की गई। 10 मामलों का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया तथा 08 मामलों में अंतरिम आदेश पारित किया गया। एक मामले में लोक शिकायत निवारण में अरूचि एवं संवेदनहीनता के आरोप में प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, बख्तियारपुर के विरूद्ध 5,000/- रुपया का दंड लगाया गया तथा आदेश की अवहेलना के कारण विभागीय कार्रवाई प्रारंभ करने का आदेश दिया गया। दो अन्य लोक प्राधिकारांे-जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पटना तथा अंचल अधिकारी, पुनपुन से स्पष्टीकरण किया गया।

दरअसल अपीलार्थी श्रीमती आशा देवी, पताः करौता, प्रखंड-बख्तियारपुर, अनुमंडल-बाढ़, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत नाला नहीं जोड़ने दिए जाने के संबंध में है। परिवादी का कहना था कि उनके घर के निजी नाला को सार्वजनिक नाला से जोड़ा जाए। जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक घर के पास वाले नाला, जो पड़ोसी द्वारा पूर्व से निर्मित है, से उनके निजी नाला को जोड़ा जाए। जिलाधिकारी ने समीक्षा में पाया कि लोक प्राधिकार प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, बख्तियारपुर द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है। उनका प्रतिवेदन भी असंतोषजनक एवं भ्रामक है। जनहित के इतने महत्वपूर्ण मामले में उनके द्वारा शिथिलता बरती जा रही है। आज की सुनवाई से भी वे अनुपस्थित हैं। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, बाढ़ के समक्ष दिनांक 28.01.2024 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग छः महीना की अवधि में भी प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी ने कोई सकारात्मक, सार्थक एवं ईमानदार प्रयास नहीं किया। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी अधिकारी का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। लोक प्राधिकार के इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने दिनों में भी समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। जिलाधिकारी द्वारा इन आरोपों के कारण लोक प्राधिकार प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, बख्तियारपुर के विरूद्ध बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत 5,000/- रूपये का अर्थदंड लगाते हुए उनसे कारण-पृच्छा की गई। साथ ही आदेश की अवहेलना के कारण उनके विरूद्ध विभागीय कार्रवाई प्रारंभ करने का आदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने अनुमंडल पदाधिकारी, बाढ़ को स्थल निरीक्षण कर आदेश का अनुपालन कराने का निदेश दिया। अवरूद्ध नाला को सार्वजनिक नाला में जोड़ने के लिए अविलंब कार्रवाई करने का निदेश दिया गया। परिवादी के पड़ोसी द्वारा सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण करने एवं जनहित के कार्य में व्यवधान डालने के आरोप पर अनुमंडल पदाधिकारी को प्रतिवेदन देने का निदेश दिया गया। आज की सुनवाई से जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पटना भी अनुपस्थित थे। इस कारण उनसे भी स्पष्टीकरण किया गया। साथ ही सभी संबंधित पदाधिकारियों को परिवादी के शिकायत का विधि-सम्मत पूर्ण रूप से निवारण करते हुए स्पष्ट प्रतिवेदन के साथ सुनवाई की अगली तिथि 23.08.2024 को उपस्थित रहने का निदेश दिया गया।

एक अन्य मामले में अपीलार्थी श्रीमती रंजीता कुमारी, पति श्री रवि कुमार, साकिन-संकट मोचन पथ, मित्रमंडल कॉलोनी, अनिसाबाद, साकेत बिहार, पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत दाखिल-खारिज वाद को अस्वीकृत करने एवं ऑनलाईन म्युटेशन अपील के आवेदन के पेंडिंग फॉर रिसीव रहने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, पुनपुन द्वारा कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। उनका प्रतिवेदन भी भ्रामक एवं अस्पष्ट है। परिवादी का पक्ष जाने बिना तथा उनसे बिना सम्पर्क किए अंचल अधिकारी द्वारा प्रतिवेदन दे दिया गया है। आवेदिका द्वारा पुनः दाखिल-खारिज हेतु 28 जुलाई, 2024 को ही आवेदन दिया जा चुका है फिर भी अंचल अधिकारी ने अपने प्रतिवेदन में इस तथ्य को छुपाते हुए प्रतिवेदित किया है कि आवेदिका द्वारा पुनः दाखिल-खारिज हेतु आवेदन करने के उपरांत नियमतः दाखिल-खारिज वाद का निष्पादन किया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अंचलाधिकारी की गलत मंशा को दर्शाता है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, मसौढ़ी के समक्ष परिवाद दिनांक 06 दिसम्बर, 2023 को ही दायर किया गया था। लगभग आठ महीना में अंचल अधिकारी की कार्यशैली के कारण परिवादी की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी अधिकारी का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। जिलाधिकारी द्वारा इन आरोपों के कारण लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, पुनपुन से स्पष्टीकरण किया गया। यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं होगा तो उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि 16 अगस्त को परिवादी की शिकायत का नियमानुसार निवारण करते हुए स्पष्ट प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया गया।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों एवं सेवा शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।

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