उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दान के साथ छठ महापर्व का हुआ समापन ,
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आवास गुलजार रहा पर राबड़ी-लालू आवास पर रहा सन्नाटा ,
औरंगाबाद का देव तालाब प्रशासन को आख़िरकार खोलना पड़ा

विजय शंकर
पटना । कोरोना काल होने के बावजूद सूर्य को अर्घ्य देने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ गई है । लाखों की संख्या में लोग गंगा किनारे पहुंचे । कोरोना काल में छठ महापर्व के लिए राज्य सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए थे कि लोग घरों में छठ\ करें मगर सरकार की अपील का आंशिक असर घाटों पर दिखाई पड़ा । चार दिवसीय छठ महापर्व का आज उदयीमान सूर्य को अर्घ्य अर्पण के साथ समापन हो गया । छठ पूजा पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आवास गुलजार रहा और उन्होंने छठ की पूजा अपने घर पर इस बार की मगर राबड़ी-लालू आवास पर सन्नाटा पसरा रहा क्योंकि धूमधाम से हर साल छठ करने वाली राबड़ी देवी पिछले तीन साल से छठ नहीं कर रही हैं ।

इस बार कोरोना वायरस को लेकर जहां प्रशासनिक बंदी हर जगह लगाने की कोशिश की गई मगर छठ व्रतियों ने अपनी आस्था के आगे करुणा को मात दे दी और कहीं ऐसा नजर नहीं आया जिससे लोग कोरोना से भयभीत हो । व्रतियों ने कहा कि छठी मैया की पूजा से विश्वभर में विकराल कोरोना संकट खत्म हो जाएगा और न सिर्फ भारत बल्कि पूरा विश्व कोरोना से मुक्त हो जाएगा । ऐसी भावना के साथ हम लोग पूजा करने आए हैं । वहीं कुछ व्रतियों ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस से हम लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ी है फिर भी हम लोग कोरोना को मात देते हुए गंगा घाट पर जमा हुए हैं । क्योंकि वर्षों से घाटों पर ही हम लोगों ने भगवान सूर्य को अर्घ अर्पण किया है ।

सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर, औरंगाबाद के देव स्थान में प्रशासन ने भारी भीड़ को देखते हुए जहां रोक लगा दी थी ,उसे भी अंतिम समय में छठ व्रतियों के लिए खोल दिया गया और स्थानीय युवाओं ने सूर्य तालाब को ताबड़तोड़ मेहनत कर उसे काम लायक बना लिया और फिर व्रतियों ने अपने पुराने जगह पर ही छठी माई की पूजा की । यह बात और रही कि जिस तरह देश-विदेश और देश के कोने कोने से छठ की पूजा करने आते थे, इस बार वह नहीं आ पाए क्योंकि उनके लिए रोक लग गई थी । लेकिन स्थानीय लोगों के लिए कोई विकल्प नहीं था इसलिए हार कर प्रशासन को सूर्य तालाब खोलना पड़ा और फिर लोगों ने वहां सूर्य को अर्घ्य दिया ।

पूरे पटना के घाट पर अगर देखा जाए तो अपेक्षाकृत कम, कहीं ज्यादा लोग नजर आए क्योंकि प्रशासनिक निर्देशों के अनुकूल इस बार ढेर सारे लोगों ने अपने घरों पर कुंड बनाया या फिर प्लास्टिक के टप/कुंड में ही अर्घ्य दान किया । कोरोना के बीच चार दिवसीय छठ पर्व का बिहार में समापन हो गया । छठ व्रत करने वाले श्रधालुओं ने अपनी आस्था के आगे कोरोना को मात दे दी और कहीं ऐसा नजर नहीं आया जिसे लोग कोरोना से भय्बित दिखे ।

पटना के खतरनाक घाट को छोड़कर बाकी सभी घाटों पर भी कोरोना काल में सामान्य से थोड़ी कम भीड़ नजर आई । श्रद्धलुओ की भीड़ के बीच दूरियां बनाने का कोई ख्याल नहीं रहा । प्रशासन के लोगों ने मास्क और सेंसटाइजर आदि की व्यवस्था की थी मगर वह सारे मास्क धरे के धरे रह गए । व्रतियों ने उसे खारिज करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दान किया । उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का आज समापन हो गया और पूरे उत्साह के साथ छठ व्रत लोगों ने किया उदयीमान सूर्य को अर्घ देने के साथी चार दिवसीय छठ महापर्व का आज समापन हो गया और पूरे उत्साह के साथ छठ व्रत लोगों ने किया उदयीमान सूर्य को अर्घ देने के साथी चार दिवसीय छठ महापर्व का आज समापन हो गया और पूरे उत्साह के साथ छठ व्रत लोगों ने किया । अब सवाल यह है कि प्रशासनिक व्यवस्था को धता बताते हुए उन्होंने अपने मनोनुकूल स्थानों पर घाट पर जाकर व्रत किया । जिन लोगों ने घर पर छठ करने की व्यवस्था थी, वहां गंगाजल पहुंचाने की व्यवस्था प्रशासन को करनी थी मगर तालमेल का अभाव रहा जिसकी वजह से न प्रशासन उनकी मदद कर पाया और नहीं व्रती के परिजन प्रशासन से मदद ले पाए। नतीजा गंगा घाटों से पानी लाकर सभी परिवारों ने अपने-अपने घरों पर तालाब\ बनाकर पर्व संपन्न किया । समृद्धि-समझदार लोग मास्क पहने जरूर नजर आये और इस बार जो लोग कभी अपने घरों पर छठ\ नहीं करते थे, उन लोगों ने भी इस बार अपने घरों पर छत पर अथवा खुले मैदान में तालाब बनाकर अस्ताचलगामी सूर्य और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया । जगह-जगह दूध, फल, सूप और चाय देने की व्यवस्था सामाजिक संगठनों के लोगों ने तथा स्थानीय छठ पूजा समिति के कार्यकर्ताओं ने की\ थी जिसका लोगों ने स्वागत भी किया और लाभ भी लिया ।

प्रशासनिक व्यवस्था हर घाटों पर नजर आई और प्रशासन के लोग सेंसटाइजर मास्क लेकर प्राय: घाटों पर काउंटर लगाकर लोगों के सहयोग के लिए खड़े थे । सुरक्षा बल की भी व्यापक व्यवस्था की गई थी प्रशासन के साथ-साथ पूजा समितियों ने और स्थानीय सेवकों ने तथा स्वयंसेवी संगठनों ने हर घाटों पर व्रतियों को अधिक से अधिक सहूलियत दी । कुछ जागरूक लोगों ने मास्क का उपयोग जरूर किया मगर प्राया व्रतियों ने बिना मास के अपने घरों से चलकर घाटों तक पहुंचे और उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अपने चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन कर लिया ।

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