सेवानिवृति के 20 दिन बचे, न निलंबन खत्म हुआ, न मिली पोस्टिंग
दलित पुलिस परिवार को न्याय नही मिला तो परिवार देगा धरना, पत्नी करेगी आत्मदाह

बिहार ब्यूरो

पटना । शिवहर जिला में पदस्थापित रहे पुअनी चंदेश्वरी कामत की पत्नी विजेता कामत ने अपने पति के साथ हुए अमानवीय कृत और परिवार को गलत मुकदमे में फंसाए जाने के विरुद्ध आवाज उठाई है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गृह सचिव से 10 महीने का बकाया वेतन निकासी आदेश दिए जाने का अनुरोध किया है । साथ ही शिवहर जिला से सेवानिवृत्त किए जाने का भी अनुरोध किया है और इसके लिए आदेश देने की मांग सरकार से की है क्योंकि पुअनी चंदेश्वरी कामत 20 दिनों में ही सेवानिवृत होने वाले हैं । न्याय नहीं मिला तो देंगे धरना, करेंगे आत्मदाह भी । अपना अनुरोध पत्र विजेता कामत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ साथ गृह सचिव, बिहार के पुलिस महानिदेशक ,तिरहुत प्रमंडल के पुलिस महानिरीक्षक को भी समर्पित कर अपनी आवाज उठाई है ।

अनुरोध पत्र की प्रति के साथ आज एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से बात करती हुयी पत्नी विजेता कामत ने कहा कि उनके पति चंदेश्वरी कामत पुलिस अवर निरीक्षक पद पर शिवहर जिला में पदस्थापित थे । नालंदा कॉलोनी में भाड़े के एक मकान में किराए पर परिवार के साथ रह रहे हैं । पिछले वर्ष अगस्त महीने में मकान मालिक के तरफ से पेपर में यह समाचार छपवा दिया गया कि उनके यहां 24 महीने का मकान भाड़ा और बिजली बिल बकाया है जबकि मात्र 2 महीने का मकान भाड़ा और बिजली बिल उन्होंने नहीं दिया था । इसके बाद जब मकान मालिक से कहा गया कि रेंट का डायरी निकालिए तो वह भड़क गया और पुलिस को बुलाकर यह कहने लगा पुलिस तो पैसे पर बिकती है । इसके बाद विवाद होने पर जब बीच बचाव करने उनका लड़का अभिषेक कामत आया और फिर उनकी बेटी आई बीच-बचाव करने तो दोनों के साथ मकान मालिक के लोगों ने अभद्र व्यवहार किया । साथ ही पुलिस को बुला कर उनके खिलाफ उल्टा केस करवा दिया और इस कार्य में लहेरी थाना के पदाधिकारी अख्तर हुसैन की बड़ी भूमिका रही । पुलिस अवर निरीक्षक चंदेश्वरी कामत उस समय घटना के दिन शिवहर जिला के तरारी थाना अंतर्गत धनकौल में ड्यूटी में थे मगर उनके ऊपर भी गलत केस करवाया गया । मेरे पुत्र अभिषेक कामत जो अंतराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी है और इंग्लैंड से खेल कर लौटा था जिसे दिल्ली सरकार ने सम्मानित भी किया है, उसके खिलाफ भी कांड बनवा कर पुलिस पदाधिकारी अख्तर हुसैन ने कार्रवाई की । उसका भी करियर बर्बाद करने की कोशिश की । उन्होंने कहा कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक निलेश कुमार को आवेदन देकर इस संबंध में उचित कार्रवाई की गुहार लगाई गई थी, मगर उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और ना तो मकान मालिक पर कार्रवाई हुई और ना ही फर्जी केस करने वाले पुलिस प्राधिकारी अख्तर हुसैन पर कार्रवाई हुयी । इतना ही नहीं नालंदा के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के बिना जांच पड़ताल के बनाये गए पर्यवेक्षण रिपोर्ट को बिना जांच किया सुपौल dsp ने पर्यवेक्षण बना दिया जिसके आधार पर भी गलत तरीके से फंसा दिया गया और जिसके आधार पर 31 दिसंबर 2020 को उनके पति को निलंबित कर दिया गया ।

श्रीमती कामत ने बताया कि उनके पति चंदेश्वरी कामत , जो दलित समाज से है और 20 दिन में सेवानिवृत्त होने वाले है । ईमानदार छवि के साथ जीवन भर पुलिस सेवा करने वाले को सुपौल एसपी के कुकृत्यों के कारण दलित परिवार भूखे मरने को विवश है । बिना निलंबन से मुक्त किये नवादा में योगदान देने की बात करते है, जो पुलिस क्या किसी भी सर्विस मैनुअल में नहीं है । परेशान करने की नीयत से 69 वर्ष की उम्र में यातायात पुलिस पटना में पदस्थापित किया गया । उन्होंने अपने पति को निलंबन वाले स्थल जिला में फिर से पदस्थापित करने की गुहार लगाई थी । बताया कि 9 अप्रैल को इसी वर्ष पति को पैतृक जिला शिवहर जाने का आदेश पत्र मिला लेकिन पति के काफी बीमार रहने और किडनी रोग से ग्रसित होने के कारण पटना के डॉक्टर और बंगाल के डॉक्टर के इलाज में रहने के कारण वह नहीं जा पाए । मगर चिकित्सा प्रमाण पत्र भी लगातार संबंधित पुलिस अधीक्षक को भेजते रहे । इसी माह 1 जून को जब मेरे बेटे ने बीमार पिता के साथ मिलने का प्रयास किया गया तो मिलने के बजाए पुलिस लाइन मैं आने को कह दिया गया और कुछ अशोभनीय व्यवहार किया गया । पुलिस अधीक्षक संजय भारती से मिलने भी नहीं दिया गया और अभद्र व्यवहार किया गया जिसके बाद मेरे पति बेहोश होकर गिर गए और उन्हें शिवहर अस्पताल लाया गया जिसके बाद चिकित्सकों ने बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच पटना भेज दिया जहां इलाज चल रहा है । पति अब 20 दिन में सेवानिवृत्त होने वाले हैं ऐसे में पुलिस अधीक्षक शिवहर द्वारा नालंदा में योगदान देने को कहा जा रहा है जबकि पति का स्थानांतरण 8 माह पूर्व हुआ था और और किडनी बीमारी के कारण वह अन्यत्र जाने में भी परेशानी महसूस कर रहे हैं । उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डीजीपी बिहार समेत तिरहुत के पुलिस महानिरीक्षक से शिवहर से ही सेवानिवृत किये जाने की इच्छा जताई है और इसके लिए आदेश देने का आग्रह किया है । साथ ही दलित पुलिस अधिकारी को वेतन नही देना, निलंबन अवधि का गुजारा भत्ता तक रोक के रखना यह पुलिस अधीक्षक की मनमानी का द्योतक है , ऐसा करके एसपी ने कानून व सेवा संहिता के खिलाफ काम किया है व सुशासन को धक्का लगाया है जिनपर न्याय संगत कार्रवाई की जानी चाहिए ।

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