बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने महज आठ महीने में अपने जनाधार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है। मंगलवार को कोलकाता नगर निगम (केएमसी) चुनाव परिणामों में सामने आए आंकड़ों से स्पष्ट हो गया है कि तृणमूल कांग्रेस को अकेले कुल मतों का 72 फ़ीसदी हासिल हुआ है। बाकी 28 फ़ीसदी वोट में भाजपा, माकपा कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार सिमट गए हैं। किसी भी राजनीतिक पार्टी के इतिहास में महज आठ महीने में इतने बड़े पैमाने पर मतांतर वृद्धि का मामला शायद ही पहले सामने आया है। इसी साल अप्रैल-मई महीने में संपन्न हुए बहुचर्चित विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 57.55 फ़ीसदी वोट मिले थे। इसके अलावा महत्वपूर्ण बात यह भी है कि 2015 के कोलकाता नगर निगम चुनाव के समय तृणमूल कांग्रेस को 50.6 फ़ीसदी वोट मिले थे। उसके मुकाबले देखा जाए तो महज पांच सालों में सत्तारूढ़ पार्टी के मत प्रतिशत में 20 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। चुनाव आयोग की ओर से अपडेटेड आंकड़े के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस को 72.2 फ़ीसदी वोट मिले हैं जबकि वाममोर्चा को 11.7 फ़ीसदी, भाजपा को 9.3 फ़ीसदी और बाकी मत कांग्रेस तथा निर्दलीय उम्मीदवारों को मिले हैं। इसके पहले 2015 के केएमसी चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 114 वार्डों में जीत मिली थी जबकि दूसरे स्थान पर माकपा 15 सीटें जीतने में सफल रही थी। भाजपा को सात सीटें मिली थीं जो इस बार और कम होकर तीन पर सिमट गई है।

सीटें जीतने में पीछे रहने पर भी माकपा ने हासिल किया है भाजपा से अधिक वोट

कोलकाता। कोलकाता नगर निगम (केएमसी) चुनाव के परिणाम स्पष्ट हो गए हैं। 144 वार्डों वाले महानगर में 134 सीटों पर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस जीत चुकी है जबकि बाकी 10 सीटों में से तीन पर भाजपा, तीन पर निर्दलीय और बाकी चार सीटों में से दो-दो पर माकपा और कांग्रेस की जीत हुई है। इन आंकड़ों को देखें तो भाजपा वाममोर्चा के मुकाबले एक सीट अधिक जीती है लेकिन अगर समग्र तौर पर मिले मत प्रतिशत को देखें तो लेफ्ट फ्रंट ने भाजपा के मुकाबले अधिक सीटें जीती है।
मंगलवार सुबह 8:00 बजे से शुरू हुई मतगणना अपराह्न 2:00 बजे तक पूरी हो गई है। चुनाव आयोग की ओर से अपडेटेड आंकड़े के मुताबिक राज्य में 144 वार्डों में से 65 वार्डों में वाममोर्चा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे हैं। यानी इन वार्डों में तृणमूल कांग्रेस के बाद वाममोर्चा के उम्मीदवारों को लोगों ने सबसे अधिक पसंद किया है। जबकि भाजपा के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे हैं। इसी तरह से भारतीय जनता पार्टी महज 54 वार्डों में दूसरे नंबर पर है। यानी वाममोर्चा भाजपा के मुकाबले 11 वार्डों में भाजपा से अधिक वोट हासिल करने में सफल रहा है। वहीं कांग्रेस 15 वार्डों में दूसरे नंबर पर है।
इसके पहले अप्रैल-मई महीने में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी 70 सीटें जीतकर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बनी है और हारने वाली प्रत्येक विधानसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे। इसके पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने 42 में से 18 सीटें जीत ली थी और बाकी सीटों पर दूसरे नंबर पर थी। लेकिन अब कोलकाता नगर निगम चुनाव में यह रिकॉर्ड टूटा है तथा दूसरे नंबर पर माकपा के उम्मीदवारों का मत प्रतिशत होने की वजह से 34 सालों तक राज्य में सत्तारूढ़ रहने वाली वामपंथी पार्टियों को संजीवनी मिल सकती है।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *