परिचर्चा में वक्ताओं ने इस दिशा आगे बढ़ने की समाज से की अपील

नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो

पटना : पारस अस्पताल पटना के बरिष्ठ चिकित्सक डॉ ए एल दास ने समाज के लोगो से अपने बच्चों को मूल्य पर आधारित संस्कारो की शिक्षा देकर ही हम आने वाले समय मे उन्हें हम नया जीवन प्रदान कर सकते है।आज के समय मे हम आने वाले पीढ़ियों को दूसरे प्रदेशों में रह रहे स्व जातीय के कला और संस्कृति को जानने व उसे पुनर्जीवित हम एक दूसरे के बीच शादी विवाह से ही रख सकते है।इसके लिये शिक्षा की ओर हमे विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।
डॉ दास कर्ण कायस्थ कल्याण मंच की ओर से पटना के होटल मगध के सभागार में ” अन्तर्राज्जीय स्वजातीय वैवाहिक सम्बन्ध” विषय पर आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे।परिचर्चा में बड़ी संख्या में समाज के पुरुष, महिला एवं युवा शामिल थे। परिचर्चा के मुख्य वक्ता के रूप में परिचर्चा की चेयरपर्सन मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के पुनर्वास  हेतु कार्यरत समाजसेविका सह शिक्षाविद् डॉ. श्रीमति मनीषा कृष्णा ने समाज की महिलाओं को इस दिशा कारगर बताते हुए कहा कि ऐसे रिश्ते के बढ़ावा देने के लिये उनके भागीदारी को महत्वपूर्ण बताया।

दूसरे प्रदेश के स्वजातीय के बीच नये संबंध से हमे एक दूसरे के संस्कृति को भी जानने को मिलेगी।इसमे महिलाओं की  भागीदारी ही सर्वोच्च कारक सावित हो सकती है।
आरम्भ में विषय प्रवेश के साथ परिचर्चा की शुरुआत करते मंच के संस्थापक राजेश कुमार कंठ ने समाज में वैवाहिक सम्बन्धों के क्षेत्र में हो रहे आमूल परिवर्तन की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया तथा परामर्श के लहजें में इस बात पर बल दिया कि पौराणिकता के मूल सिद्धांत को सक्षम एवं कामयाब रखते हुए आधुनिकता एवं परिवेश सापेक्ष संबंध बनाये जाने बल दिया। ताकि वर्तमान व आनेवाली पीढियां को इस सोच को समयानुकूल बनाने एवं निर्णय लेने में आसानी हो सके|
मंच के बरिष्ठ सदस्य सह जदयू के बिहार सचिव मनोज लाल दास मनु ने विषय की मौलिकता एवं सामयिक अनुकूलता की अवधारणा के पक्ष में अपनी बात रखते हुए समाज द्वारा अन्तर्राज्जीय स्वजातीय वैवाहिक संबंध स्थापना पर प्रकाश डालते हुए कहा की भविष्य में इसके सार्थक परिणाम आने की संभावना है। अपना देश शुरू से सांस्कृतिक आदान प्रदान का देश रहा है, पौराणिक काल हो या प्राचीन काल इतिहास गवाह है हम सब ने ऐसे सम्बन्धों के पक्षधर रहे है।
परिचर्चा की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष विनय कर्ण व स्वागत  महासचिव संजय कुमार ने की।
इस अवसर बैद्यनाथ लाल दास, के बी लाल, विभा लाल ने बिचार व्यक्त करते हुए इसके सार्थकता पर प्रकाश डाला।11 वी की छात्रा दीपिशा ने इसकी जोरदार वकालत करते हुए कही की इससे हमें एक दूसरे के संस्कृति को जानने का अवसर मिलता है।
इस अवसर परसंजीव कुमार ,अमित कुमार,ऋषिकेश कुमार, नवीन नवेंदु , श्रीमति गंगा कर्ण,शम्भू प्रसाद,किशोर कुमार कर्ण,जयंत कर्ण,राजकुमार दिलीप आदि उपस्थित थे। अतिथियों को सुश्री छवि और शिखा कर्ण ने पाग,चादर व पुष्पगुच्छ देकर संस्था की ओर से सम्मानित किया।

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