सुबोध
किशनगंज । जिला अंतर्गत बारहवीं बटालियन सीमा सशस्त्र बल (एसएसबी) कैम्प सभागार में शुक्रबार को लैंगिक असमानता के विषय पर सेमिनार आयोजित हुयी।जिसकी अध्यक्षता राहत आई पार्ट इण्डिया की सचिव फरजाना बेगम ने की ।इस सेमिनार में महिला एवं पुरूष जवानों की बड़ी संख्या में भागीदारी रही।विधिवत् कार्यक्रम की शुभारंभ के पश्चात मौके पर अध्यक्षीय संबोधन सचिव फरजाना ने कहा कि कार्यक्रम का उदेश्य लैंगिक असमानता जैसे कुरीतियों से समाज को मुक्ति कैसे मिले इस विषय से संबंधित चर्चा करेंगे।
पश्चिम बंगाल सिलीगुड़ी एसएसबी के डॉ. रिंकु डे ने कहा कि लड़को और लड़कियों के भेदभाव का असर बालपन में दीखता है तो व्यस्क होने *के* बाद इसका स्वरूप ही व्यापक हो जाता है ।परिणामस्वरुप कार्य क्षेत्र में महिलाओं की संख्या में कमी आ जाती है।लेकिन महिला सशक्तीकरण के लिए लैंगिक भेदभाव से समाज को मुक्ति दिलाने में सामुदायिक जागरूकता अनिवार्य है। एसएसबी बारहवीं बटालियन कमाडेंट ललित कुमार ने कहा कि महिला एवं पुरूष की समानता के लिए कार्य क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर स्वच्छ दोस्ताना भाव से काम करने की आवश्यकता तो है और यह तभी संभव है जब किसी परिवार में बेटा और बेटी के भेदभाव में समाजिक बदलाव होनी चाहिए। वैसे वर्तमान से समय में भूत की अपेक्षा बदलाव तो आयी है लेकिन और बदलाव की आवश्यकता है। मौके पर अन्य प्रमुख जवानों में महिला और पुरूष ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत कर और लैंगिक भेदभाव के अनुभव को साझा किया ।इस अवसर पर महिला जवान कर्मियों एवं राहत सचिव फरजाना को भी सम्मान मिला।
किशनगंज । जिला अंतर्गत बारहवीं बटालियन सीमा सशस्त्र बल (एसएसबी) कैम्प सभागार में शुक्रबार को लैंगिक असमानता के विषय पर सेमिनार आयोजित हुयी।जिसकी अध्यक्षता राहत आई पार्ट इण्डिया की सचिव फरजाना बेगम ने की ।इस सेमिनार में महिला एवं पुरूष जवानों की बड़ी संख्या में भागीदारी रही।विधिवत् कार्यक्रम की शुभारंभ के पश्चात मौके पर अध्यक्षीय संबोधन सचिव फरजाना ने कहा कि कार्यक्रम का उदेश्य लैंगिक असमानता जैसे कुरीतियों से समाज को मुक्ति कैसे मिले इस विषय से संबंधित चर्चा करेंगे।
पश्चिम बंगाल सिलीगुड़ी एसएसबी के डॉ. रिंकु डे ने कहा कि लड़को और लड़कियों के भेदभाव का असर बालपन में दीखता है तो व्यस्क होने *के* बाद इसका स्वरूप ही व्यापक हो जाता है ।परिणामस्वरुप कार्य क्षेत्र में महिलाओं की संख्या में कमी आ जाती है।लेकिन महिला सशक्तीकरण के लिए लैंगिक भेदभाव से समाज को मुक्ति दिलाने में सामुदायिक जागरूकता अनिवार्य है। एसएसबी बारहवीं बटालियन कमाडेंट ललित कुमार ने कहा कि महिला एवं पुरूष की समानता के लिए कार्य क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर स्वच्छ दोस्ताना भाव से काम करने की आवश्यकता तो है और यह तभी संभव है जब किसी परिवार में बेटा और बेटी के भेदभाव में समाजिक बदलाव होनी चाहिए। वैसे वर्तमान से समय में भूत की अपेक्षा बदलाव तो आयी है लेकिन और बदलाव की आवश्यकता है। मौके पर अन्य प्रमुख जवानों में महिला और पुरूष ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत कर और लैंगिक भेदभाव के अनुभव को साझा किया ।इस अवसर पर महिला जवान कर्मियों एवं राहत सचिव फरजाना को भी सम्मान मिला।