14 मार्च को रेलवे परिसर और 31 मार्च तक जिला मुख्यालयों में चलेगा आंदोलन
विभिन्न बहालियों से जुड़े छात्र-युवाओं ने किया रोजगार संघर्ष संयुक्त मोर्चा का गठन
नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो
पटना । विधानसभा चुनाव के समय भाजपा-जदयू द्वारा 19 लाख रोजगार की घोषणा से सरकार के विश्वासघात के खिलाफ सम्मानजनक रोजगार और न्यायपूर्ण बहाली की मांग पर आज पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में आयोजित रोजगार अधिकार महासम्मेलन में हजारों छात्र-युवाओं का जुटान हुआ.
विदित हो कि कुछ दिन पहले बहालियों को लेकर आंदोलनरत युवाओं के विभिन्न ग्रुपों को एक मंच पर लाते हुए रोजगार संघर्ष संयुक्त मोर्चा का गठन हुआ था. माले विधायक व आइसा के महासचिव संदीप सौरभ, विधायक व इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल, विधायक व इनौस के मानद राज्य अध्यक्ष अजीत कुशवाहा व माले के युवा नेता राजू यादव के नेतृत्व में यह संयुक्त संघर्ष मोर्चा काम कर रहा है.
विधायक मनोज मंजिल ने रोजगार अधिकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज सरकार रेलवे का निजीकरण करके रोजगार के सबसे बड़े सेक्टर को ही खत्म कर रही है. बिहार में शिक्षक-कर्मचारियों के आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं. स्वास्थ्य जैसे विभाग में पद खाली हैं, लेकिन सरकार इन पदों पर बहालियां नहीं कर रही है. आज सरकार की युवा विरोधी नीतियों के खिलाफ पटना में हजारों छात्र-युवाओं का जुटान हुआ है और यहां से हम रोजगार के सवाल पर एक निर्णायक संघर्ष का ऐलान करते हैं.
उन्होंने कहा कि अभी बिहार विधानसभा का सत्र चल रहा है, सरकार को जवाब देना होगा कि अभी तक उसने अपनी घोषणाओं को लागू क्यों नहीं किया. उन्होंने यह भी घोषणा की कि सभी लंबित बहालियों को अविलंब पूरा करने, बहालियों का संपूर्ण कैलेंडर लागू करने, विज्ञापन में बहालियों की समय सीमा निर्धारित करने, रिक्त पड़े पदों पर श्वेत पत्र लाने, रोजगार के सवाल पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग पर 10 मार्च को रोजगार अधिकार महासम्मेलन से पारित प्रस्तावों को बिहार के मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा.
आगे कहा कि उपर्युक्त मांगों के साथ-साथ रेलवे के निजीकरण पर रोक लगाने, रेलवे कैलेंडर जारी करने, रेलवे में समाप्त किए जा रहे सभी पदों को जोड़ते हुए सभी रिक्त पदों पर अविलंब बहाली की मांग पर 14 मार्च को रेलवे परिसर में धरना होगा. यह आंदोलन 31 मार्च तक जबतक विधानसभा चलेगा, समानान्तर रूप से चलता रहेगा और जिलों में भी धरने दिए जाएंगे.
संदीप सौरभ ने कहा कि मोदी और नीतीश कुमार दोनों सरकारों ने हम छात्र-युवाओं को धोखा दिया है. अब यह सरकार 19 लाख रोजगार की बात भी नहीं करती. जबकि नोटबंदी, बिना प्लानिंग का लाॅकडाउन, काॅरपोरेटपरस्त आर्थिक नीतियों ने संगठित-असंगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को लगातार कम कर दिया है. आज रोजगार के अवसर लगातार सीमित हो रहे हैं, लेकिन हमारी सरकारें इसपर तनिक भी ध्यान नहीं देती हैं. अजीत कुशवाहा ने कहा कि सबसे अधिक युवा वाले देश में बेरोजगारी दूर करना सरकार के एजेंडे में नहीं है. सत्ता में बैठे लोग युवाओं के भविष्य से ज्यादा हिंदु-मुसलमान के ध्रुवीकरण के जरिए देश में दंगा व फसाद खड़ा कर रहे हैं. आज देश की संपत्तियों केा औने-पौने दाम पर बेचा जा रहा है. पूरे उद्योग-धंधों को चैपट कर दिया गया है. संसाधनों को बचाने और रोजगार के सवाल पर अब पूरी तरह कमर कस लेने की जरूरत है.
आज के रोजगार अधिकार महासम्मेलन में मुख्य रूप से एसटेट 2019, सांख्यिकी स्वयंसेवक, अनियोजित कार्यपालक सहायक, सीटेट-बीटेट, बीएसएससी 2014, एसटेट 2011-12, पारा मेडिकल, फार्मासिस्ट, राज्य एवं भूमि सुधार के पों पर वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थी, सुधा डेयरी, रेलवे-लाइब्रेरी बहाली के अभ्यर्थी, आईटीआई अनुदेशक, सिपाही बहाली 2009, ललित कला शिक्षक भर्ती आदि के अभ्यर्थी शामिल हुए.
अभ्यर्थियों ने रोजगार अधिकार महासम्मेलन में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि लगभग तमाम बहालियों के फाइनल रिजल्ट की घोषणा व ज्वाइनिंग में बरसो – बरस का समय लगता है. बहाली की प्रक्रिया लटका कर रखी जाती है. एक बार में किसी भी परीक्षा का परिणाम सामने नहीं आता है. यह छात्र-युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और यह हमारी सरकारें लगातार कर रही हैं.
आज के कार्यक्रम का संचालन आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष विकास यादव ने की. अध्यक्षमंडल में विधायकों के साथ-साथ अलग-अलग बहालियों के नेतृत्वकर्ता अभ्यर्थी शामिल थे. सम्मेलन में बिहार भर से आइसा-इनौस के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.