बिमल चक्रवर्ती
धनबाद: राष्ट्रीय विधिक दिवस के अवसर पर सिविल कोर्ट धनबाद में नालसा के निर्देश पर प्रायोजित किए गए विभिन्न कार्यक्रमों को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनी लगाया गया। प्रदर्शनी में चार स्टाल लगाए गए थे । जिसमें विभिन्न तरह के कानूनी जानकारी से संबंधित पुस्तकें, पंपलेट, चित्र लगाई गई थी, जिसके द्वारा लोगों को विभिन्न सरकार के कल्याणकारी योजनाओं के विषय में जानकारी दी जा रही थी। शिविर का उद्घाटन धनबाद के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम शर्मा ने किया। इस मौके पर न्यायाधीश ने कहा कि सभी नागरिकों के लिये उचित और निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने हेतु जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 9 नवंबर को एक कानूनी सेवा दिवस मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि 1995 में देश मे पहली बार भारत के सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा समाज के गरीब और कमज़ोर वर्गों को सहायता प्रदान करने के लिये कानूनी सेवा दिवस शुरू किया गया था।
उन्होंने बताया कि शुल्क कानूनी सेवा पाने के हकदार लोगों को सभी तरह की मुफ्त कानूनी सेवाएंँ प्रदान की जाती है। इस दिन देश के नागरिकों को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत विभिन्न प्रावधानों और वादियों के अधिकारों से अवगत कराने हेतु मनाया जाता है। इस दिन प्रत्येक कानूनी क्षेत्र में सहायता शिविर, लोक अदालत और कानूनी सहायता कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इसी कड़ी में आज धनबाद जेल में भी कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
हक आपका भी तो है, जेल में न्यायाधीश ने कैदियों को कहा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर बुधवार को धनबाद मंडल कारा में निरुद्ध बंदियों के बीच कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में उपस्थित बंधुओ को संबोधित करते हुए। धनबाद के अवर न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार निताशा बारला ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार ने भारतवर्ष के सभी जिलों में निरुद्ध कैदियों के लिए एक नए कार्यक्रम की शुरुआत की है इसका नाम “हक हमारा भी तो है” इस कार्यक्रम के तहत कैदियों के मुकदमों की स्कूटनी की जा रही है और उन्हें बताया जा रहा है कि उनके मुकदमे से संबंधित सारी जानकारी दी जारी है। अगर उनको अधिवक्ता चाहिए तो अधिवक्ता उपलब्ध कराया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत जो कैदी अपने परिजनों से नहीं मिल पा रहे हैं, उन्हें अपने परिजनों से मिलने की व्यवस्था कराई जा रही है।