गया । जनता दल यूनाइटेड के जिलाध्यक्ष अभय कुशवाहा ने कहा है कि बिहार में जाति जनगणना पर भाजपा के साजिश को उच्च न्यायालय में खारिज कर दिया है। यह एक ऐतिहासिक फैसला है। शहर के नगमतिया रोड स्थित अपने कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना के खिलाफ याचिका दायर करने वाले प्रमुख तीन याचिकाकर्ता का संबंध भाजपा के साथ है। इसमें यूथ फॉर इक्वलिटी की स्थापना 2006 में ओबीसी को दिए न्यायालय के फैसले के विरूद्ध की गई थी, यह संस्था 2019 से गरीब सवर्णों को दिए गए 10% आरक्षण के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी।
श्री कुशवाहा ने कहा कि संस्था के संबंध भाजपा के साथ पर प्रगाढ़ रहा है। उन्होंने वर्ष 2006 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को समर्थन दिया था। दूसरा प्रोफेसर संगीत कुमार रागी इसका भी संबंध अमित साह से लेकर भाजपा के बड़े नेताओं के साथ गहराई से रहा है। वहीं तीसरे मक्खन लाल का संबंध भी आर एस एस एवं भाजपा के साथ गहरा रहा है।
अभय कुशवाहा ने कहा कि भाजपा जातीय गणना ही नहीं, बल्कि जनगणना के भी विरोधी है।
पिछले डेढ़ सौ वर्षों के इतिहास में हिंदुस्तान में पहली बार 10 वर्षीय जनगणना नहीं कराई गई है। जैसा की ज्ञात हो कि देश में आखिरी जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी। इसके बाद वर्ष 2021 में जनगणना होना था, लेकिन मोदी सरकार ने कोरोना का बहाना बनाकर जनगणना को टालने की साजिश की। जबकि इस कोरोना के दौरान वर्ष 2020 से लेकर आज तक दुनिया के 80 से अधिक देशों ने अपने अपने देश में जनगणना का कार्य पूर्ण कर लिया है।
उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात यह है कि पाकिस्तान जैसे गरीब और पिछड़ा देश भी ने अपने देश में जनगणना कार्य करा लिया है अमेरिका ने भी वर्ष 2021 में जनगणना का कार्य करवा लिया है। सिर्फ भारत सरकार द्वारा अब तक जनगणना का कार्य पूर्ण नहीं कराने के कारण देश में संवैधानिक संकट उत्पन्न होने वाली है।
इन सभी बातों से स्पष्ट होता है कि भाजपा की मानसिकता अनुसूचित जाति अत्यंत व पिछड़ा वर्ग एवं अन्य विरोधी है।
जिलाध्यक्ष अभय कुशवाहा ने यह भी कहा कि जब हाई कोर्ट का फैसला आया है तो भाजपा जातीय जनगणना की पक्षदार खुद को दिखा रही है। जबकि इससे पहले रोक लगी थी तो भाजपाइयों ने जातीय जनगणना को असंवैधानिक बताया था।