राजनीतिक विश्लेषण : विपक्ष के आपसी मतभेद से भाजपा की झोली झोली में बिहार की40 सीट आनी लगभग तय

(रवींद्र कुमार रतन, स्वतंत्र लेखन ,सेनानी सदन )

भारत का सौभाग्यसूर्य,र्हिमालयभाल का ज्योतिर्मय तिलक विन्दु,राष्ट्र का सबसे अनमोल दिवस, मुक्तिकाअमर आलोक पर्व 15 अगस्त 1947, स्वतंत्रता दिवस भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। इस दिन के आगमन में न जाने कितनी माताओं के मांग के दमकते सिन्दरों से, कितने बुढो के अन्धेरे घरों के चिराग से ,न जाने कितनी बहनों की लाल राखियों से इस आजादी के स्वागत की आरती सजाई थी , ऐसा हो भी क्यों नही अनय भित्ति फ़िरंगींयो के शासन का उन्मूलन जो हुआ, जुल्म का जनाजा निकल गया।

तब जाके उस दिन राष्ट्र के स्वर्णिम प्रभात से सुसज्जित उषा रानी स्वतंत्रता की मोहक किरनों को छिटकाती प्रकट हुई थी । जन जीवन ने मुद्दत के बाद नयी अन्गराई ली थी । एक नई ताजगी की लहर सर्वत्र लहरा रही थी ।पुन: स्वतंत्रता दिवस क्या आया, स्म्रतियों का सैलाव उमड़ पड़ा है।हमारे स्वतंत्रता संग्राम के 78वर्षों का इतिहास स्मृति के वातायन से झांकने लगता है यदि हम इस इतिहास का
अवलोकन करते हैं तो हमारे सामने उपलब्धियों एवं अभावों का धुपछाहीं परिधान निर्मित हो जाता है ।हम प्रगति की सीढियों पर चढे है याअगति के खण्डकों मे गिरे हैं।हमने मन:कामनाओं की मंजिल ही पायी है या मिला जुला कर यथास्थिति के परिधि की ही फेरी लगाई है, निर्णय कर सहसा कहना कठिन हो जाता है।
‘भारत माँ अब मौन त्याग तुम ही बोलो! क्या यह वही आजादी है, जिसके लाने के लिए न जाने कितनी वीरांगनाएँ अपनी मांग के दमकते सिन्दरों से,वच्चों ने अपने खिलौने, बच्चियों ने अपनी राखियो से सजाकर आरती उतारी थी। अहा! क्या यह वही आजादी है जिसके लिए ‘ भगत सिंह’,’ चंद्रशेखर आजाद’, खुदी राम , विद्रोही सुवाष,जैसे वीर बान्कुरों ने अपनी-अपनी जान की बाजी लगा दी थी। कत्तई नहीं ,यह वह स्वतंत्रत्ता दिवस नहीं है जिसके लिए गोखले, तिलक ,गाँधी ने तपस्या की थी ?

राम -कृष्ण,अल्ला, गुरुगोविन्द सिंह और ईषा मसीह के देश मेंजाति,धर्म,भाई-भतीजावाद,वंशवाद,परिवार वाद, पद और पैसों के लिय लोग देश की आजादी को दाव पर लगा देते हैं।

आज न आर्थिक आजादी है ना समाजिक ,ना भाषाई, ना धार्मिक! आजादी है दल बदलने की, आजादी शोषण की,आजादी है भ्रश्टाचार की, आजादी है लुटने की, आजादी हैं माँ बहनो के अस्मत लुटने की। एसी आजादी से क्या जहाँ हम चैन की जिन्दगी भी न जी सकें।
आपस में विपक्षी ऐसे लडते है जैसे जूठे पत्तल पर जानवरl स्थिति ऐसी हो गई है कि बिहार में बगैर परिश्रम के ही 40 सो लोकसभा की सीट भाजपा की झोली में जाना तय है l अटल बिहारी बाजपेयी जी के सपनों को साकार करने में युवाओं के प्रेरणा स्रोत आदरणीय मोदी जी आठों पहर लगे है l उनके विजयरथ को रोकने वाला अभी कोई नही है l जे पी का एक सेनानी हिम्मत किया तो औकात आंक कर किंकर्तव्यविमूढ़ हो अनिश्चय की स्थिति से गुज़र रहे हैं l

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