चुनावी हिंसा के शिकार हुए थे दलित भाजपा कार्यकर्ता धनंजय सरकार
बंगाल ब्यूरो
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के मालदा जिला अंतर्गत गाजोल थाना क्षेत्र के बोउगाछी गांव में मौत के घाट उतारे गए दलित भाजपा कार्यकर्ता धनंजय सरकार के परिवार से अरुण हालदार ने बुधवार को मुलाकात की है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त हलदार जब पीड़ित परिवार के घर पहुंचे तो नियमानुसार वहां डीएम और एसपी की उपस्थिति होनी चाहिए थी लेकिन दोनों अनुपस्थित थे। संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत मौके पर उत्तर बंगाल के आईजी और मालदा रेंज के डीआईजी को भी उपस्थित रहना चाहिए था लेकिन ये दोनों अधिकारी भी उपस्थित नहीं थे। इसे लेकर उन्होंने नाराजगी जाहिर की। अरुण हालदार ने कहा कि नियमानुसार ऐसे मामलों में जब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आते हैं तो प्रशासनिक अधिकारियों को मौके पर रहना चाहिए ताकि कार्रवाई के संबंध में जानकारी दी जा सके लेकिन सारे अधिकारी नदारद हैं। इसके खिलाफ कानूनी कदम उठाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग किसी भी राजनीति से ऊपर है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में दक्षिण 24 परगना के कैनिंग में तिहरे हत्याकांड में मारे गए लोग सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के थे लेकिन आयोग के हस्तक्षेप के बाद उन्हें आवश्यक मुआवजा मिल पाया। 27 अक्टूबर को धनंजय सरकार को उनके घर से 500 मीटर की दूरी पर मौत के घाट उतार दिया गया था। पुलिस ने हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू की है लेकिन आरोप है कि मूल हमलावरों को बचाया जा रहा है। अरुण ने कहा कि पंचायत अध्यक्ष और उनके सहयोगी पर हत्या के आरोप हैं लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही। आयोग इसके खिलाफ संवैधानिक नियमों के मुताबिक प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करेगा। अरुण में परिवार के सदस्यों को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार उनकी हर तरह से मदद करेगी।