चैम्बर द्वारा जन-सुनवाई में आयोग को समर्पित सुझाव/समालोचना में अमल से वर्तमान बिजली की दरों में कमी संभव 

विजय शंकर 

पटना : आज साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी लि0 की ओर से बिहार विद्युत विनियामक आयोग को दायर याचिका की जन-सुनवाई वर्चुअल एवं भौतिक दोनों माध्यम से हुई l कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोग की ओर से भौतिक रूप से 25 व्यक्ति को उपस्थित होने की अनुमति दी गयी थी एवं कोरोना काल में भी बहुत ही अच्छे तरीके से सुनवाई आयोजित की गई l इसके लिए आयोग धन्यवाद का पात्र है । बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज की ओर से आयोग को 56 पृष्ठ का सुझाव/आपत्ति दर्ज कराते हुए यह अनुरोध किया गया कि यदि इस पर अमल किया जाए तो वर्तमान बिजली की टैरिफ में कमी हो सकती है ।

चैम्बर अध्यक्ष श्री पी0 के0 अग्रवाल ने बताया कि आयोग की आज हुई वर्चुअल एवं भौतिक जन-सुनवाई में चैम्बर की ओर से संयोजक श्री सुभाष कुमार पटवारी एवं अधिवक्ता श्री अर्जुन लाल भाग लिए । उन्होंने आगे बताया कि हर साल की भांति इस साल भी साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी लिमिटेड की ओर से दिनांक 21 दिसम्बर 2021 को बिहार विद्युत विनियामक आयोग को याचिका दायर की गई है जिसमें अपनी आमदनी, खर्च एवं लाईन लॉस को विस्तार पूर्वक दर्शाते हुए आयोग से सभी श्रेणी के वर्तमान विद्युत दरों में 10 प्रतिशत वृद्धि किए जाने का प्रस्ताव दिया है ।

श्री अग्रवाल ने कहा कि चैम्बर की ओर से बताया गया कि चूंकि बिहार में बिजली सर्पलस है और कम कीमत पर सरेंडर करना पड़ता है इसलिए टीओडी टैरिफ के अन्तर्गत पीक आवर में जो पेनालटी का प्रावधान है उसे समाप्त किया जाना चाहिए जिससे कि उस अवधि में भी उद्यमी विद्युत का उपभोग कर सकें । उद्योगों में बिजली की खपत को बढ़ाने के लिए झारखंड एवं डीवीसी की भांति लोड फैक्टर रिबेट दिया जाना चाहिए जिससे कि यहॉं के उद्यमियों को विद्युत दर में राहत मिल सकेगी एवं इससे राज्य में नये निवेशक भी आकर्षित होंगे । 

श्री अग्रवाल ने बताया कि वितरण कम्पनी द्वारा आयोग को दायर टैरिफ याचिका का विस्तृत रूप से अध्ययन के लिए चैम्बर की ओर से अधिवक्ता की मदद से आयोग को 56 पृष्ठ का सुझाव/आपत्ति दर्ज करायी गयी है और यह बताया गया है कि वितरण कम्पनी के याचिका में जो डाटा दर्शाया गया है कि उसमें कहॉं-कहॉं पर त्रुटि है एवं वास्तविक खर्च से अधिक दर्शाया गया है । साथ ही यह बताया गया है कि यदि चैम्बर के द्वारा दर्शाए गए त्रुटियों को विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा सही किया जाता है तो स्वभाविक रूप से वितरण कम्पनी का राजस्व सर्पलस हो जाएगा और वर्तमान विद्युत टैरिफ में कमी हो सकती है जिससे राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं को भी काफी राहत मिलेगी ।

चैम्बर की ओर से आयोग से यह भी अनुरोध किया गया है कि विद्युत वितरण कंपनियों के राजस्व की आवश्यकता का अनुमोदन युक्तिसंग तरीके से की जानी चाहिए जिससे कि अन्य राज्यों की भांति यहॉं भी बिजली की दरों में कमी आए जिससे कि राज्य के विशेषकर कॉमर्शियल उपभोक्ताओं को राहत मिल सके ।

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