बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता। पूरे देश के साथ पश्चिम बंगाल में भी तेजी से फैलते जा रहे कोविड-19 महामारी के व्यापक संक्रमण के बावजूद बांग्ला नववर्ष “पहला वैशाख” के मौके पर कोलकाता के मशहूर कालीघाट मंदिर में गुरुवार को भारी भीड़ उमड़ी है। हालांकि लोगों ने समझदारी दिखाई और मास्क आदि पहनने के साथ-साथ शारीरिक दूरी का पालन करने की कोशिश की लेकिन जिस पैमाने पर भीड़ थी उसमें पूरी तरह से कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन कर पाना संभव नहीं दिख रहा था। सूर्योदय से पहले ही कालीघाट मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ बढ़ गई थी। वैशाख महीने के पहले दिन से बांग्ला नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, गृह मंत्री अमित शाह, राज्यपाल जगदीप धनखड़ सहित अन्य मशहूर हस्तियों ने शुभकामनाएं दी है।
ऐसी परंपरा रही है कि पहला वैशाख के दिन बंगाली समुदाय मंदिरों में जाकर भगवान की पूजा अर्चना करता है। इसके अलावा बंगाली व्यवसायिक वर्ग इस दिन से नए खाते की शुरुआत भी करता है। वैसे भी बंगाली समुदाय उत्सव प्रिय होता है। बंगाल में जितना महत्व दुर्गा पूजा का है ठीक वैसा ही पहला वैशाख यानी बांग्ला नववर्ष का है। इन दोनों ही मौकों पर बंगाली समुदाय के लोग मां की पूजा करते हैं।
घरों में बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं नए कपड़े पहन कर पूजा अर्चना कर एक दूसरे को मिठाई आदि खिलाते हैं। हालांकि पिछले साल कोविड-19 महामारी की वजह से इस उत्सव में भंग पड़ गया था और इस बार भी उसी तरह की स्थिति है। पहले की तुलना में और तेजी से कोविड-19 महामारी फैल रही है इसलिए गुरुवार को कालीघाट के साथ-साथ तारापीठ, दक्षिणेश्वर और अन्य मंदिरों में लोगों की भीड़ तो बढ़ी लेकिन कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने की कोशिश की गई। कालीघाट से लेकर हर एक बड़े मंदिर में सैनिटाइजेशन और थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा मंदिर प्रबंधन की ओर से शारीरिक दूरी का पालन करने का निर्देश बार-बार दिया जा रहा है।

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