बंगाल ब्यूरो
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को उन तमाम आरोपों का जवाब दिया जो उन पर सिंगूर आंदोलन के दौरान टाटा के उद्योग को राज्य से भगाने के लगते रहे हैं। सिलीगुड़ी में संबोधन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने नहीं माकपा वालों ने टाटा को बंगाल से भगाया है। उन्होंने कहा, “मैंने टाटा को नहीं भगाया। सीपीएम ने भगाया। वे जबरदस्ती जमीन लेने गए थे। हमने सिर्फ जमीन लौटाई है।”
मुख्यमंत्री बुधवार को सिलीगुड़ी के कावाखाली मैदान में बिजया सम्मेलन में शामिल हुईं। उन्होंने वहां उत्तर बंगाल के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तृणमूल शासन में दक्षिण बंगाल के साथ-साथ उत्तर बंगाल ने भी समान रूप से प्रगति की है। ममता ने यह भी कहा कि उन्होंने राज्य की खातिर और अधिक निवेश आकर्षित करने की पहल की है। अब उनका लक्ष्य ज्यादा उद्योग, ज्यादा रोजगार है। इस बारे में बात करते हुए मुख्यमंत्री ने सिंगूर प्रसंग पर सफाई दी।
उन्होंने कहा, ”इस कावाखाली में भी निवेश किया गया है लेकिन उनकी इच्छा के विरुद्ध किसी की भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया।” उन्होंने देउचा-पचामी परियोजना पर भी प्रकाश डाला।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में ममता ने सिंगुर में 26 दिनों तक भूखे रह कर आंदोलन किया था जिसकी वजह से राज्य भर में इसके पक्ष में लोग उठ खड़े हुए थे। इसकी वजह से टाटा को सिंगूर में अपनी नैनो परियोजना बंद कर वापस लौटना पड़ा था। बाद में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टाटा को गुजरात में निवेश के लिए जमीन दी थी।