बंगाल ब्यूरो

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला तृणमूल अध्यक्ष अणुव्रत मंडल के विवादित बयानों और हिंसक गतिविधियों को लेकर लगातार किरकिरी झेल रही तृणमूल कांग्रेस अब उनसे दूरी बना रही है। कोयला और मवेशी तस्करी मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के सात समन को उनके द्वारा दरकिनार किए जाने को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं ने महत्वपूर्ण टिप्पणियां की है जो इस बात की ओर इशारा करते हैं। इसके पहले बीरभूम नरसंहार में 10 लोगों को जिंदा जलाए जाने की घटना को लेकर भी उन्होंने पार्टी को असहज परिस्थिति में डाल दिया था और कहा था कि टीवी में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी थी। जबकि तृणमूल नेता की हत्या के बाद बदला लेने के लिए पूरे गांव में आग लगा दी गई थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उनके बयान से नाराज थीं। इसके अलावा देश में वीआईपी कल्चर पर रोक लगाने के लिए सरकार द्वारा लाल बत्ती वाली गाड़ियों पर रोक लगा दिए जाने के बावजूद संवैधानिक नियमों को दरकिनार कर वह अपनी गाड़ी में लाल बत्ती लगाकर पूरे राज्य में घूमते हैं जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में भी याचिका लग चुकी है। अब ममता कैबिनेट में बड़े नेता और मुख्यमंत्री के बेहद करीबी फिरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता कुणाल घोष और पार्टी के कमरहाटी से विधायक मदन मित्रा ने हाल के दिनों में कुछ ऐसे बयान दिए हैं जो अणुव्रत मंडल से तृणमूल कांग्रेस की बढ़ती दूरियों की ओर इशारा कर रहे हैं।
कमरहटी से विधानसभा क्षेत्र से पार्टी विधायक मदन मित्रा ने कहा कि मंडल को सीबीआई की पूछताछ का सामना करना चाहिए। हमारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा नरूला बनर्जी को विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों द्वारा पूछताछ का सामना करना पड़ा है।
मित्रा ने कहा, “यह अजीब है कि जब भी सीबीआई बुलाती है तो अणुव्रत मंडल बीमार हो जाते है।
मित्रा तृणमूल कांग्रेस के पहले नेता नहीं हैं, जिन्होंने सीबीआई की पूछताछ को दरकिनार करने के लिए अणुव्रत मंडल पर सवाल उठाया। इससे पहले, पार्टी के राज्य महासचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष ने भी मंडल को पूछताछ का सामना करने की नसीहत दी थी। उन्होंने कहा था,
“पहले मुझे कई राज्य जांच एजेंसियों से पूछताछ का सामना करना पड़ा है। लेकिन मैंने कभी भी पूछताछ से परहेज नहीं किया। इसके विपरीत, मैं निर्धारित समय से लगभग पांच मिनट पहले संबंधित एजेंसी के कार्यालय में पहुंच जाता था। यहां तक ​​​​कि हमारे राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने केंद्रीय एजेंसियों का सामना किया। ”
हाल ही में, राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने भी इस मामले में एक सूक्ष्म संकेत दिया था। इस मामले से पार्टी को अलग करते हुए उन्होंने कहा था, “यह सीबीआई और अणुव्रत मंडल के बीच एक आंतरिक न्यायिक मामला है।”
ममता कैबिनेट में परिवहन और शहरी विकास मंत्री तथा कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम भी अणुव्रत मंडल पर टिप्पणी कर चुके हैं। वह मंडल के लाल बत्ती गाड़ी में घूमने को गैरकानूनी करार दे चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसी गाड़ियों के खिलाफ परिवहन विभाग कार्रवाई करेगा और मालिकों के खिलाफ केस दर्ज करने के साथ ही गाड़ी भी जब्त की जाएगी। सीबीआई समन को दरकिनार किए जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में हकीम ने कहा कि न्यायिक मामलों में कानून के मुताबिक काम करना बेहतर होगा।
इसके पहले सीबीआई द्वारा किसी भी नेता को समन दिए जाने को लेकर पार्टी उसके साथ खड़ी रहती थी और शायद ही ऐसा कोई नेता हो जो एक या दो समन को दरकिनार करने के बाद पूछताछ का सामना नहीं किया हो। दूसरी ओर मंडल लगातार सीबीआई पूछताछ को टाल रहे हैं जिसकी वजह से पार्टी भी उनसे दूरी बनाने लगी है।
मंडल ने सीबीआई के सात समन की अनदेखी की है। छह अप्रैल को, उन्हें सरकारी एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने 17 दिन बिताए। वह 22 अप्रैल को अस्पताल से अपने कोलकाता आवास पर लौटे। अस्पताल से छूटने के बाद, उन्हें सीबीआई कार्यालय में पेश होने के लिए दो समन मिले। लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य के आधार पर दोनों समन से परहेज किया और एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड की चार सप्ताह तक आराम करने की सलाह का हवाला देते हुए पूछताछ में शामिल होने से इनकार कर दिया।
इस बीच, उन्होंने पूछताछ के लिए पेश होने के लिए सीबीआई को शर्तें भी रखी थीं। उन्होंने कहा कि वह 21 मई 2022 के बाद ही पूछताछ के लिए उपस्थित हो सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पूछताछ की जगह आपसी चर्चा से तय की जानी चाहिए।

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