शराबबंदी को लेकर भाजपा साफ़ साफ़ नहीं बोल रही है : शिवानंद
नवराष्ट्र मीडिया न्यूज
पटना। राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि भाजपा जानबूझकर शराबबंदी के मामले में भ्रम जाल पैदा कर रही है। एक तरफ़ तो उनका कहना है कि हम शराब बंदी के पक्ष में हैं. लेकिन नीतीश सरकार उसको असरकारी ढंग से लागू नहीं कर पा रही है. इसलिए ज़हरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है. लेकिन वह असरकारी ढंग क्या है, किस तरीक़े से बंदी को असरकारी बनाया जा सकता है इस पर वह कुछ नहीं बोल रही है. बिहार में ऐसे लोग भी हैं जो शराब बंदी को ग़लत मानते हैं. जो ऐसा मानते हैं वे गंदे लोग हैं, यह भी नहीं कहा जा सकता है. यह भी उतना ही सच है कि नशाखोरी की सबसे ज़्यादा शिकार महिलाएँ ही होती हैं. इस सवाल पर अगर उनके बीच वोट करवाया जाए तो उनका भारी बहुमत शराब बंदी का समर्थन करेगा. सवाल यह है कि असरकारी बंदी कैसे हो ताकि ज़हरीली शराब से होने वाली घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सके, इस विषय में भाजपा को साफ़ साफ़ बताना चाहिए. ज़हरीली शराब से मौत की घटना उन राज्यों में भी लगभग नियमित होती हैं, जहां शराब बंदी नहीं है. गुजरात जैसे राज्य में जहाँ शराब बंदी है वहाँ भी ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं. बल्कि 2009 में , जब भाजपा के अवतारी नेता नरेंद्र भाई मोदी जी वहाँ के मुख्यमंत्री थे तब अहमदाबाद में 150 लोग ज़हरीली शराब पी कर मर गए थे. उसके बाद मोदी सरकार ने क़ानून में संशोधन कर ज़हरीली शराब का कारोबार करने वालों के लिए फाँसी की सजा का प्रावधान किया था. लेकिन इसके बावजूद अभी पिछले जुलाई में ज़हरीली शराब पी कर वहाँ दर्जनों लोग मौत के शिकार हो गए. जहाँ शराब बंदी नहीं है, भाजपा शासित वैसे राज्यों में भी ऐसी मौतें होती रहती हैं. बल्कि इस सूची में भाजपा शासित मध्य प्रदेश सबसे उपर है. इसलिए बिहार भाजपा के नेताओं को साफ़ साफ़ बोलना चाहिए . वे बिहार में शराब बंदी जारी रखने के पक्ष में हैं या नहीं. असरकारी या ग़ैर असरकारी का कोई अर्थ नहीं है. जब नरेंद्र मोदी जी के शासन में बड़ी संख्या में मौत हुई और आज भी उस राज्य में हो रही है. इसलिए भाजपा ढोंग छोड़े और साफ़ साफ़ कहें कि बिहार में शराब बंदी को समाप्त किया जाए.
पटना। राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि भाजपा जानबूझकर शराबबंदी के मामले में भ्रम जाल पैदा कर रही है। एक तरफ़ तो उनका कहना है कि हम शराब बंदी के पक्ष में हैं. लेकिन नीतीश सरकार उसको असरकारी ढंग से लागू नहीं कर पा रही है. इसलिए ज़हरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है. लेकिन वह असरकारी ढंग क्या है, किस तरीक़े से बंदी को असरकारी बनाया जा सकता है इस पर वह कुछ नहीं बोल रही है. बिहार में ऐसे लोग भी हैं जो शराब बंदी को ग़लत मानते हैं. जो ऐसा मानते हैं वे गंदे लोग हैं, यह भी नहीं कहा जा सकता है. यह भी उतना ही सच है कि नशाखोरी की सबसे ज़्यादा शिकार महिलाएँ ही होती हैं. इस सवाल पर अगर उनके बीच वोट करवाया जाए तो उनका भारी बहुमत शराब बंदी का समर्थन करेगा. सवाल यह है कि असरकारी बंदी कैसे हो ताकि ज़हरीली शराब से होने वाली घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सके, इस विषय में भाजपा को साफ़ साफ़ बताना चाहिए. ज़हरीली शराब से मौत की घटना उन राज्यों में भी लगभग नियमित होती हैं, जहां शराब बंदी नहीं है. गुजरात जैसे राज्य में जहाँ शराब बंदी है वहाँ भी ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं. बल्कि 2009 में , जब भाजपा के अवतारी नेता नरेंद्र भाई मोदी जी वहाँ के मुख्यमंत्री थे तब अहमदाबाद में 150 लोग ज़हरीली शराब पी कर मर गए थे. उसके बाद मोदी सरकार ने क़ानून में संशोधन कर ज़हरीली शराब का कारोबार करने वालों के लिए फाँसी की सजा का प्रावधान किया था. लेकिन इसके बावजूद अभी पिछले जुलाई में ज़हरीली शराब पी कर वहाँ दर्जनों लोग मौत के शिकार हो गए. जहाँ शराब बंदी नहीं है, भाजपा शासित वैसे राज्यों में भी ऐसी मौतें होती रहती हैं. बल्कि इस सूची में भाजपा शासित मध्य प्रदेश सबसे उपर है. इसलिए बिहार भाजपा के नेताओं को साफ़ साफ़ बोलना चाहिए . वे बिहार में शराब बंदी जारी रखने के पक्ष में हैं या नहीं. असरकारी या ग़ैर असरकारी का कोई अर्थ नहीं है. जब नरेंद्र मोदी जी के शासन में बड़ी संख्या में मौत हुई और आज भी उस राज्य में हो रही है. इसलिए भाजपा ढोंग छोड़े और साफ़ साफ़ कहें कि बिहार में शराब बंदी को समाप्त किया जाए.