लालू-राबड़ी राज में बिहारियों पर अत्याचार व जंगल राज जनता भूल नहीं सकती
विजय शंकर
पटना, 15 जुलाई। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने सोमवार को कहा है कि तेजस्वी यादव भले ही झूठ और दुष्प्रचार के जरिये लालू-राबड़ी राज की कालिख को छिपाने का भरपूर प्रयास कर रहे हों, लेकिन उससे बिहारियों के मन में लगा घाव भरने वाला नहीं है। बिहार के लोग भूल नहीं सकते कि उस समय एक महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनकी बहू-बेटियां घरों से अकेले बाहर नहीं निकल पाती थीं। राजद के जंगलराज का सबसे अधिक कहर महिलाओं पर ही टूटता था। राजद की सत्ता की शह पर गुंडों का मन इतना बढ़ा हुआ था कि बड़े अधिकारीयों के घर की महिलाएं भी सुरक्षित नहीं थीं।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी जी को पता होना चाहिए कि उस समय महिलाएं घूमने के लिए तो दूर पढ़ने और नौकरी करने के लिए निकलने से पहले सौ बार सोचती थीं। न तो उन्हें आरक्षण का लाभ मिलता था और न ही सुरक्षा। दहेज़ हत्या और बाल विवाह के मामले आम थे। दलितों, पिछड़े-अतिपिछड़ों के घरों की लड़कियों को खुलेआम उठा लिया जाता था लेकिनसरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती थी। लेकिन नीतीश राज आने के बाद हालात बदले और महिलाओं को उचित सम्मान मिलना शुरू हुआ। जिस बिहार के स्कूलों में महज 12ः लड़कियों की उपस्थिति रहती थी वहां आज 98ः से अधिक बच्चियां स्कूल जाने लगी हैं। आज कक्षा 1 से 12 तक के छात्राओं को पोशाक, छात्रवृति, साईकिल योजना के तहत साईकिल एवं इंटरमीडिएट पर 25000/- तथा ग्रेजुएशन करने पर 50,000/- दी जा रही है। वहीं हर लड़की को ग्रेजुएशन तक 1 लाख से अधिक रूपये मिल रहा है।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि नीतीश सरकार ने ही महिलाओं को पंचायत चुनाव एवं नगर निकाय चुनाव में 50ः आरक्षण का लाभ दिया। इसी सरकार ने आज टीचर बहाली में महिलाओं को 50ः आरक्षण दिया हुआ है, जिसके कारण अभी हाल में हुई 4 लाख शिक्षकों की बहाली में 2 लाख महिलायें चयनित हुईं है। पोस्टिंग में भी उन्हें 35ः आरक्षण दिया जा रहा है। इसी सरकार ने महिलाओं को पुलिस बहाली में 35ः आरक्षण दिया है, इसी वजह से देश के सभी राज्यों की अपेक्षा बिहार में महिला पुलिस बल सबसे अधिक है यहाँ तक की उत्तर प्रदेश से भी ज्यादा। अभी बिहार पुलिस बल में लगभग 30,000 से अधिक महिलायें कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, स्पोर्ट्स कॉलेज में नामांकन में महिलाओं के लिए 33ः आरक्षण दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि झूठ का ढ़ोल पीटने के बजाय तेजस्वी जी को बताना चाहिए कि उनके शासनकाल में ऐसा क्यों नहीं हुआ? क्यों उस समय आधी आबादी को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ता था?