विजय शंकर
पटना । 74 आंदोलन के वरिष्ठ नेता रहे मिथिलेश कुमार सिंह मस्तिष्क आघात से उबर नहीं सके और सांय 6.45 बजे उनका निधन हो गया ।. वे 77 वर्ष के थे. उनके तीनों पुत्र अंतिम समय मे उनके समीप थे. उक्त जानकारी उनके अनन्य सहयोगी रहे जे पी सेनानी कुमार अनुपम ने दी ।
मिथिलेश कुमार सिंह उस छात्र संघर्ष संचालन समिति के सदस्य थे जिसकी अध्यक्षता जे पी करते थे और 74 आंदोलन का संचालन इसी समिति से होता था । राम सुन्दर दास के मंत्रिमंडल मे ये कार्मिक मंत्री रहे और जे पी सेनानी सलाहकार पर्षद के अध्यक्ष के रूप मे इन्होंने ही बड़ी संख्या मे जे पी सेनानियों को पेंशन स्वीकृत कराने मे मह्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इनके नेतृत्व मे पूरे बिहार मे जे पी सेनानियों के बड़े बड़े सम्मेलन हुए और सिताब दियारा स्थित जे पी जन्मस्थान को घाघरा और सरयू नदी के कटाव से बचाने के लिए इन्होंने सघन आंदोलन छेड़ा था जिसकी वजह से केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार सरकार के अधिकारियों की समिति गठित हुई और जे पी के पुस्तैनी मकान को नदियों के कटाव से बचाया जा सका ।
कुमार अनुपम के अनुसार मिथिलेश कुमार सिंह कॉंग्रेस (संगठन) के युवा इकाई के नेता रहे. और पूर्व प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई के साथ ही चन्द्रशेखर के भी काफी करीब रहकर इन्होंने बिहार की राजनीति मे सक्रिय भूमिका निभाई । इन्होंने ही बुद्ध की अस्थियों को पटना के संग्रहालय मे सुरक्षित रखने का अभियान चलाया और अभी सीतामढ़ी मे अयोध्या की तर्ज़ पर भव्य सीता धाम के भव्य विकास के साथ इस स्थल को राम पर्यटन सर्किट से जोड़ने का अभियान चला रहे थे। इन्होंने जे पी पर्यावरण समिति बनाकर रूद्राक्ष और चंदन के पौधों को विभिन्न स्थानो पर लगाने का भी अभियान चला रखा था ।
ये रेकी चिकित्सक और योग प्रशिक्षक के रूप मे आम नागरिकों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी कर रहे थे ।
अस्पताल मे मौजूद पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह अशोक कुमार सिंह शिवानंद तिवारी प्रो राम जतन सिन्हा, श्याम रजक और विक्रम कुंवर समेत जे पी आंदोलन के उनके सहकर्मियों ने अश्रु पूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है । संपूर्ण क्रांति मंच से जुड़े पचासों कार्यकर्ताओं ने उनके निधन को एक आघात की संज्ञा देते हुए उनकी अंतिम विदाई मे शामिल होने के लिए पटना मे जुटना शुरू कर दिया है ।