नयी दिल्ली । पिछले कई महीनों से पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन के बीच तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। हाल के दिनों में स्थिति के कुछ बेहतर होने के संकेत जरूर मिले हैं, लेकिन तनाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ। सीमा पर तनाव के बीच भारत अपनी ताकत दिखाने को तैयार है। भारत जल्द ही ब्राह्मोस सुरपसोनिक क्रूज मिसाइलों का महीने के अंत में परीक्षण करेगा। तीनों सेनाएं इस महीने के आखिरी सप्ताह में हिंद महासागर में एक-एक करके कई मिसाइलों को लॉन्च करेंगी।
ब्राह्मोस सुरपसोनिक क्रूज मिसाइल अपनी क्लास में दुनिया की सबसे तेज है और हाल ही में डीआरडीओ ने मिसाइल सिस्टम की रेंज को 298 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर कर दिया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, देश की तीनों सेनाएं- थलसेना, नौसेना और वायुसेना नवंबर के आखिरी में कई ब्राह्मोस मिसाइलों की लॉन्चिंग करेंगी। इन टेस्टिंग से मिसाइल की मारक क्षमता को और बेहतर करने में मदद मिलेगी। पिछले दो महीनों में, डीआरडीओ शौर्य मिसाइल सिस्टम सहित नई और मौजूदा दोनों मिसाइल प्रणालियों का परीक्षण करने में सफल रहा है। हाल ही में, भारतीय वायु सेना ने पंजाब के हलवारा हवाई अड्डे से अपने सुखोई -30 विमान को उड़ाया था और बंगाल की खाड़ी में अपने लक्ष्य के रूप में एक पुराने युद्धपोत में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया था।
वहीं, चीन के साथ संघर्ष शुरू होने के तुरंत बाद ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस विमानों को भी उत्तरी सीमाओं के करीब तैनात किया गया था। भारत और चीन के बीच अप्रैल महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है और जून में दोनों देशों के जवानों के बीच हिंसक टकराव हो गया था, जिसमें गलवान घाटी में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं, पिछले महीने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक नौसेना प्रारूप का भारतीय नौसेना के स्वदेश निर्मित एक विध्वंसक पोत से रविवार को अरब सागर में सफल परीक्षण किया गया था। अधिकारियों ने बताया था कि मिसाइल आईएनएस चेन्नई विध्वंसक पोत से दागी गई और इसने लक्ष्य को पूरी सटीकता से भेद दिया। रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया था, ”ब्रह्मोस प्रमुख हमलावर शस्त्र के रूप में लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेद कर युद्ध पोत की अपराजेयता को सुनिश्चित करेगा, इस तरह विध्वंसक युद्ध पोत भारतीय नौसेना का एक और घातक प्लेटफार्म बन जाएगा।”