नव राष्ट्र मीडिया
पटना ।
खर्च की गई सरकारी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के कारण इस वर्ष भी राज्य सरकार की कड़ी खिंचाई की गई है । कैग ने अपनी रिपोर्ट में व्यापक अनियमितता होने की आशंका भी प्रकट की है।
दूसरी और इस रिपोर्ट में साफ हो गया कि बजट प्रावधानों के अनुरूप दी गई राशि को सरकार खर्च भी नहीं कर पा रही है।
सरकार हर वर्ष बजट आकार को बढ़ा रही है. बजट का आकार बढ़ाया भी जाता है। लेकिन बढ़ी हुई राशि खर्च नहीं हो पाती. कैग ने नीतीश सरकार के बजट आकार की पोल भी खोलकर रख दी है. बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने आज महालेखाकार की रिपोर्ट को सदन में पेश किया. उसी रिपोर्ट में यह बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट की बड़ी राशि को सरकार खर्च नहीं कर पाई, लिहाजा राशि को सरेंडर करना पड़ा. लगभग 78 फीसदी राशि ही खर्च हो पाई थी.
बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने आज कैग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखा. 31 मार्च 2022 तक की कैग रिपोर्ट सदन पटल पर रखी गई है. सीएजी की रिपोर्ट में कई तरह की अनियमितता, वित्तीय गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. कैग की रिपोर्ट में पाया गया है कि सरकार के विभिन्न विभागों ने राशि खर्च करने में तेजी दिखाई लेकिन उपयोगिता प्रमाण पत्र देने में वे फिसड्डी रहे है. यानि खर्चा कहां किया, इसका हिसाब-किताब नहीं है. इससे घोटाला की संभावनाओं को भी बल मिल रहा है
रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 मार्च 2023 तक 87,947.88 करोड़ के 41755 उपयोगिता प्रमाण पत्र महालेखाकार को नहीं दिए गए। यानि सरकार ने लगभग 88 हजार करोड़ रू का हिसाब-किताब कैग को नहीं दिया.
साल 2021 – 22 के लिए सरकार की कुल प्राप्ति 1 लाख 98 हजार 797.33 करोड़ रू है. जिसमे राज्य सरकार ने अपने श्रोत से 38838.88 करोड़ जो 24 .46 फीसदी है. जबकि भारत सरकार से प्राप्ति का हिस्सा 1 लाख 19 हजार 958.45 करोड़ रू जो 75 . 54 फीसदी है. 31 मार्च 2022 तक विभिन्न क्षेत्रों में राजस्व बकाया 4022.59 करोड़ रू है. इसमें 1300. 42 करोड़ रू 5 वर्षो से अधिक समय से लंबित है।
लोक लेखा समिति ने 2010 – 11 से लेकर 2019 – 20 तक लोक लेखा रिपोर्ट से संबधित 43 कांडिकाओ पर चर्चा की. इनमे से 36 कंडिका पर संबंधित विभागों को अनुसंशा भेजी, लेकिन इन विभागों ने करवाई से संबंधित रिपोर्ट नही दी . मार्च 2022 तक 2980 निरीक्षण प्रतिवेदन देखा गया, इनमे 55 हजार 840.32 करोड़ राजस्व का मामला लंबित था,1271 जांच रिपोर्ट के जवाब नही मिले . सीएजी ने 1059 मामलो में कुल 25001.46 करोड़ राजस्व हानि का पता लगाया. इसमें संबंधित विभागों ने 336 मामलो में 28.80 करोड़ की त्रुटि को स्वीकार किया. 74 मामलो में 3.16 करोड़ की मात्र वसूली की गई .
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार 20 हजार से अधिक वाहनों का फिटनेस रिन्यूअल नही किया गया. जिसके कारण 1.27 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ. जिला परिवहन पदाधिकारियों की लापरवाही से 581 गाड़ियों से 22 .16 करोड़ रुपए अर्थदंड की वसूली नही हुई . निबंधन विभाग के अंतर्गत 8 दस्तावेजों की जांच में 1.25 करोड़ के स्टांप शुल्क की काम वसूली पाई गई।

बिहार औधोगिक विकास निगम के पास 332.8 एकड़ भूमि थी , इसकी सहायक कंपनी बिहार पेपर मिल्स के भूमि के कागजात ही गायब हो गए . पटना स्मार्ट सिटी योजना में भी भारी गड़बड़ी का पता चला है. 19 जन सेवा केंद्रों के निर्माण पर 7.10 करोड़ खर्च हुए लेकिन उसका लाभ लोगो को नही मिला। 15 वर्ष से भाजपा जदयू की सरकार ने खर्च उपयोगिता प्रमाण पत्र देने में हमेशा ही लापरवाही और कोताही बरती है । जिसके कारण कैग ने कई साल बिहार सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई है।

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