विजय शंकर 
पटना : किसानों के मुद्दें पर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है। आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बिहार कांग्रेस के प्रभारी सचिव श्री वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने केंद्र सरकार के तीन किसान विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस की आगामी विरोध प्रदर्शनों का ब्यौरा दिया। उन्होंने बताया कि जब तक ये तीन किसान विरोधी काले कानून को केंद्र सरकार वापस नहीं ले लेती तब तक कांग्रेस पार्टी आम किसानों के हक की लड़ाई लड़ती रहेगी। उन्होंने बताया कि आगामी 25 मार्च को बिहार के सभी जिला मुख्यालयों पर कांग्रेसजन कृषि कानून के वापसी के लिए धरना कार्यक्रम करेंगे तो वहीं आगामी 5 अप्रैल को प्रखंड मुख्यालयों पर तीन कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ धरने के आयोजन कांग्रेस पार्टी द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आम किसानों के हक हुक़ूक़ की लड़ाई के लिए कांग्रेस पार्टी प्रतिबद्ध है।
श्री राठौर ने कहा कि बिहार सरकार गेहूं को एम एस पी मूल्यों पर शत प्रतिशत खरीदारी सुनिश्चित करे नहीं तो किसानों को न्याय दिलाने के लिए कांग्रेस पार्टी हर लड़ाई लड़ने को तैयार है उन्होंने कहा कि इस धरना प्रदर्शन को सफल बनाने हेतु सभी जिलों में प्रभारी नियुक्त किया गया है.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा ने कहा कि आज राष्ट्रीय जनता दल के द्वारा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आयोजित बेरोजगार युवाओं और राजद कार्यकर्ताओं के शांतिपूर्ण मार्च, प्रदर्शन पर सरकार के द्वारा जिस प्रकार से लाठीचार्ज की गई उसकी कांग्रेस पार्टी कड़ी शब्दों में निंदा करती है। ये बेरोजगारों या किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं पर नहीं बल्कि लोकतंत्र पर लाठीचार्ज है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत जनता या राजनीतिक दल को अपने हक की आवाज बुलंद करने का अधिकार है लेकिन राज्य की निरंकुश सरकार तानाशाहीपूर्ण रवैय्या अपना कर विरोध प्रदर्शनों को बलपूर्वक रोकना चाहती है। उन्होंने कहा कि ये सरासर लोकतंत्र की हत्या है।
प्रदेश मीडिया विभाग के नवनियुक्त चेयरमैन व प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा कि आज के अखबारों में माननीय न्यायालय के द्वारा राज्य के तीन बड़े मामलों में लिए गए फैसले और संज्ञान ने बिहार के सुशासन का दावा करने वाली सरकार की कलई खोल के रख दी है। उन्होंने गिनाया कि एनएच 40 के निर्माण में हो रही देरी पर संज्ञान लेते हुए माननीय न्यायालय ने उसे अपनी निगरानी में निर्माण कराने की बात कही, जिससे स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार के शिथिल रवैय्ये के कारण माननीय न्यायालय को लोकहित में हस्तक्षेप करना पड़ा। दूसरा बीएड कालेजों में नियुक्त व्याख्याताओं की नियुक्ति रद्द सम्बन्धी फैसले ने राज्य की नीतीश सरकार द्वारा नियुक्ति और नौकरियों में की जा रही धांधली को उजागर किया है। वहीं लॉ कॉलेज में नामांकन पर रोक सम्बन्धी फैसले ने ये स्पष्ट किया है कि वर्तमान सरकार नामांकन, नियुक्ति एवं निर्माण कार्यों में धांधली कर रही है।

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