बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता। पूरे देश के साथ पश्चिम बंगाल में कोविड-19 महामारी सबसे अधिक घातक गति से आगे बढ़ रही है। यहां भले ही आरटी पीसीआर सैंपल टेस्ट कम होने की वजह से पॉजिटिव मरीजों की संख्या कम दिख रही है लेकिन यहां मौत का आंकड़ा पूरे देश की तुलना में ज्यादा है। ऊपर से चुनाव के कारण नेताओं की जनसभाओं और रैलियों में भारी भीड़ महामारी के प्रसार के लिए सबसे घातक साबित हो रही है। इसीलिए अब चुनाव आयोग ने जो शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है खबर है कि उसमें छठे, सातवें और आठवें चरण का चुनाव एक साथ कराने के बारे में चर्चा हो सकती है। आयोग सूत्रों ने बताया कि महामारी के तेजी से बढ़ते प्रसार को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

मार्च से ही बंगाल में जानलेवा हो गया था कोरोना पर मूकदर्शक था चुनाव आयोग
– दरअसल मार्च महीने के अंतिम सप्ताह से ही कोविड-19 महामारी ने तेजी से पांव पसारना शुरू कर दिया था। पूरे देश के साथ बंगाल में भी इसकी रफ्तार सर्वाधिक थी। बावजूद इसके चुनाव के लिए जनसभाएं और रैलियां होती रहीं। पीड़ितों की संख्या बढ़ती रही और चुनाव आयोग इस मामले में मूक दर्शक बना रहा। बाद में इस सप्ताह मंगलवार को जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को लताड़ लगाई और महामारी से बचाव के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट तलब की तब जाकर आयोग को होश आया और शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसमें चुनाव के बीच कोविड-19 महामारी के प्रसार पर रोक और बचाव के उपाय के बारे में चर्चा की जानी है। तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई है कि बेहतर होगा कि बाकी के तीन चरणों का चुनाव भी एक साथ करा दिया जाए।
हालांकि विपक्षी भाजपा और अन्य पार्टियां इसके लिए तैयार होंगी या नहीं इसमें संदेह है। क्योंकि चुनावी हिंसा के लिए कुख्यात रहे पश्चिम बंगाल में इस बार भारी संख्या में केंद्रीय बलों की देखरेख में शांतिपूर्वक चुनाव कराने के लिए आठ चरणों में मतदान की घोषणा की गई है। प्रत्येक चरण में उन विधानसभा सीटों की संख्या कम रह रही है जिन पर वोटिंग होनी है और भारी मात्रा में केंद्रीय बलों की मौजूदगी की वजह से अपराधियों की लाख कोशिश के बावजूद चुनाव निष्पक्ष तरीके से गुजर रहा है। ऐसे में अगर बाकी चरणों के चुनाव एक साथ होते हैं तो व्यापक हिंसा और धांधली भी हो सकती है। इसका लाभ बैक डोर से सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को होने की आशंका है इसलिए बाकी चरणों के चुनाव एक साथ होंगे या नहीं इस बारे में संशय है। हालांकि आयोग के सूत्रों ने बताया है कि इस बारे में विचार किया जा रहा है।

चुनाव आयोग ने दूर किया भ्रम : आठ चरणों में ही होंगे मतदान

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में तेजी से बढ़ते जा रहे कोविड-19 महामारी की वजह से राज्य के अंतिम तीन चरणों के चुनाव को एक साथ कराने संबंधी अटकलों पर चुनाव आयोग ने विराम लगा दिया है। गुरुवार को आयोग की ओर से जारी बयान में साफ कर दिया गया है कि चुनाव का शेड्यूल कम करने की कोई योजना नहीं है। आठ चरणों में ही वोटिंग होगी।
बाकी चरणों को मिलाकर एक साथ वोटिंग करवाने का कोई प्लान नहीं है। दरअसल, कोरोना के मामले बढ़ने की वजह से ऐसा माना जा रहा था कि बचे हुए चरणों को एक साथ मिलाकर किसी एक दिन वोटिंग करवाई जा सकती है।
बंगाल में कुल आठ चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं।‌ इसमें से चार चरणों का मतदान हो चुका है। बाकी चरणों का मतदान बाकी है। इनके लिए 17 अप्रैल, 22 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को वोटिंग होनी है। फिर नतीजे दो मई को आएंगे।

ममता ने की मांग : बाकी चरणों का चुनाव हों एक साथ

कोलकाता । पश्चिम बंगाल में तेजी से बढ़ते जा रहे कोविड-19 महामारी को आधार बनाकर ममता बनर्जी ने राज्य में बाकी बचे सभी चरणों के चुनाव एक साथ कराने की मांग कर डाली है। एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में ममता ने कहा कि चुनाव आयोग ने आठ चरणों में मतदान कर बंगाल का अपमान किया है। कोविड के कारण यदि बंगाल के चार चरणों को तीन या दो चरण कर दिया जाए, तो इस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यदि कोरोना के नाम पर चुनाव प्रचार पर रोक लगाई गई, तो वह स्वीकार नहीं करेंगी।
ममता बनर्जी ने कहा, “मैं पहले से कह रही हूं कि आठ चरण में बंगाल में चुनाव करने की जरूरत नहीं। यह बंगाल का असम्मान है। केरल और तमिलनाडु में एक चरण हो सकता है। बंगाल इतना शांत जगह है। बीजेपी प्लान कर आठ चरण में अपने हित के लिए चुनाव कर रही है। पहले से ही कह रहे थे कि आठ चरण में चुनाव करने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा कि पिछले साल कोविड हुआ है। इस साल को पहले से नजर रखना चाहिए था। केंद्र सरकार पहले से सावधानी बरतती तो अच्छा होता। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा पीएम केयर करोड़-करोड़ रुपये लेने के बाद क्या हुआ ? इंजेक्शन नहीं दिया गया। कोविड वैक्सीन कितना सही या कितना गलत है ? नहीं जानते हैं। फरवरी में पीएम को पत्र लिखे थे कि वैक्सीन दें, लेकिन पीएम ने जवाब नहीं दिया। मीटिंग बुलाकर केवल पब्लिसिटी करते हैं। उन्होंने कहा पीएम की सभा में बाहर से लोग लाया जाता है। लोग बाहर से आ रहे हैं। कोविड लेकर आ रहे हैं। पीएम और एसपीजी लिखा रहने पर कोई चेक नहीं करता है। चुनाव आयोग हमारी बात नहीं सुनता है। केंद्र सरकार की बात सुनती है।

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