विजय शंकर 

पटना : भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने बिहार में बाढ़ की लगातार गम्भीर होती स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि उत्तर बिहार की लाखों की आबादी तो बाढ़ की चपेट में है ही, अब दक्षिण बिहार के जिले भी इसकी चपेट में आ गए हैं. यहां तक कि राजधानी पटना पर भी गंगा का दवाब लगातार बना हुआ है.

दक्षिण बिहार के कई इलाके यथा पटना, जहानाबाद, भोजपुर के गांव बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं. एक तरफ पूरा राज्य कोरोना महामारी का कहर झेल रहा है तो दूसरी ओर बाढ़ की विभीषिका भी झेलने को मजबूर है.

बिहार में हर साल बाढ़ का आना और लाखों जिंदगियों का प्रभावित होना एक नियति सी बन गई है. तथाकथित डबल इंजन की सरकार इस समस्या के प्रति तनिक भी गम्भीर नहीं है.

इस बार तो कहीं भी सरकार द्वारा किसी प्रकार का राहत कार्य भी नहीं चल रहा है, जबकि हर बार यह राहत कार्य चलाया जाता था. अब तक कई लोगों की दर्दनाक मौत भी हो चुकी है. ऐसी स्थिति में सरकार को युद्ध स्तर पर राहत कार्य चलाना चाहिए, लेकिन आपदा विभाग पूरी तरह से फेल है. बाढ़ पूर्व तैयारी में नीतीश सरकार पूरी तरह असफल साबित हुई है.

हम सभी जिलों में बाढ़ अनुश्रवण समिति की बैठक अविलम्ब करवाने, विस्थापित परिवारों को पॉलीथिन शीट व भोजन देने, माल-मवेशी के लिए चारा का संकट झेल रहे पशुपालकों को पशुचारा का प्रबंध करने, रद्द राशनकार्ड को विशेष शिविर लगाकर पुनः चालू करवाने और गरीबों के खाद्यान्न की भयंकर लूट पर रोक लगाने की मांग करते हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले 4 महीने के लॉकडाउन और फिर बाढ़ ने गरीबों की रीढ़ ही तोड़ दी है. और उसके बाद भी बाढ़ को लेकर दरभंगा सहित कई जिलों में प्रशासन द्वारा आंशिक-पूर्ण के नाम पर गरीबों को राहत से वंचित किया जा रहा है. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

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