राज्य से प्रखंड स्तर तक समावेशी निगरानी तंत्र का गठन करे सरकार.
गांव-पंचायतों में शराब विरोधी अभियान चलाएंगे वाम दल
विजय शंकर
पटना । वाम दलों ने बिहार में जहरीली शराब से लगातार हो रही मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त की है । इन दलों ने इसके प्रति सरकार के असवंदेशील व गैर जिम्मेदार रवैये की कड़ी भर्त्सना की है. आज पांच वाम दलों की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि सत्ता के संरक्षण व पुलिस तंत्र के सहयोग से ही राज्य में शराब का गैरकानूनी तंत्र फला-फूला है. ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार को इसकी खबर नहीं है, लेकिन न जाने कितनी मौतों के बाद उनकी नींद खुलेगी? केवल इस साल लगभग 100 जानें जा चुकी हैं. आज भी बक्सर से 2 मौतों की अपुष्ट खबर मिल रही है. मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा.
माले राज्य सचिव कुणाल, सीपीएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार, सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय, फारवर्ड ब्लॉक के अमरीका महतो और आरएसपी के वीरेंद्र ठाकुर ने संयुक्त रूप से कहा कि वाम दल राज्य में पूर्ण शराबबंदी के सबसे बड़े समर्थक हैं, लेकिन हम नीतीश कुमार की तरह दिखावा नहीं करते. नीतीश कुमार शराबबंदी पर वाहवाहियां लूटने में कभी नहीं चूकते लेकिन हकीकत यह है कि वे राज्य में जहरीली शराब का कारोबार अबाध गति से फलने-फूलने के मौके दे रहे हैं. शराब माफियाओं की चांदी है और लोग मौत के मुंह में जाने को विवश हैं.
यदि सरकार में तनिक भी इमानदारी है तो वह प्रशासन-राजनेता व शराब माफियाओं के उस गठजोड़ की जांच करे, जो इस जहरीली शराब का उत्पादन करवा रहा है और भारी मुनाफा कमा रहा है. इस तरह का तंत्र बिना प्रशासन के संरक्षण के संभव नहीं है.
हर कोई जानता है कि शराबबंदी कानून के कुछ प्रावधान ड्रैकोनियन हैं, जिसकी मार सबसे अधिक गरीबों पर पड़ रही है. एक तरफ शराब का अवैध कारोबार है, तो दूसरी ओर उन्हीं लाखों गरीबों को जेल में भी ठूंस दिया गया है. जहां वे बेहद नारकीय जीवन जीने को विवश हैं.
हमने सरकार से बार-बार कहा है कि शराब की बुरी लत छुड़ाने के लिए सरकार को उपाय करने चाहिए. बड़े पैमाने पर नशा मुक्ति केंद्र खोलने चाहिए और जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए, लेकिन इस दिशा में उनकी प्रगति शून्य है. इसलिए वाम दल गांव-पंचायतों में शराब विरोधी आंदोलन चलायेंगे और लोगों से अपील करेंगे कि इस सामाजिक बुराई से दूरी बनाएं.
हम बिहार के मद्य निषेद्ध मंत्री की तत्काल बर्खास्तगी और मृतक परिजनों के लिए 20 लाख रुपये मुआवजे की मांग करते है. सरकार के असंवेदनशील रवैये के खिलाफ जनता से यह भी अपील करते हैं कि गांव-गांव व पंचायत स्तर पर मुख्यमंत्री व मद्य निषेध मंत्री का पुतला जलाएं.
शराब के अवैध कारोबार पर अविलंब रोक लगाने के लिए राज्य से प्रखंड स्तर पर समावेशी निगरानी तंत्र का गठन किया जाए, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया जाए.
वाम दल सीतामढ़ी के मेहसौल थाना में पुलिस की पिटाई से एक मौत तथा समस्तीपुर के रोसड़ा के सफाई मजदूर की थाने में हुई पिटाई से इलाज के दौरान हुई मौत पर गहरी चिंता व्यक्त की है. कहा कि ऐसा लगता है कि आज राज्य एक पुलिस राज में तब्दील होता जा रहा है, जहां हाजत में मौतों का सिलसिला एक सामान्य घटनाक्रम बनता जा रहा है. हम इन मामलों की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हैं.