मीडियाकर्मियों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित करें सरकार : माइनोरिटीज फ्रंट

वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया के दावे , 300 से ज्यादा पत्रकारों ने जान गंवाई

सुभाष निगम 
नई दिल्ली। आल इंडिया माइनोरिटीज फ्रंट के अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने देश भर में कोरोना महामारी से हो रही पत्रकारों की मौतों के प्रति शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि मोदी सरकार मीडियाकर्मियों को फौरन फ्रंट लाइन वर्कर घोषित करे ताकि उनका उचित इलाज समय पर हो सके और उनके पीड़ित परिवारों को निर्धारित सहयता समय पर मिल सके। उन्होंने कहा कि उनके शोकाकुल परिवार दाने दाने को मोहताज हो गए हैं। इसके बावजूद पत्रकार अपने पेशेवर कर्तव्य को निबाहने में जी जान से जुटे हुए हैं।
डॉ आसिफ ने कोरोना संक्रमण से बड़ी संख्या में पत्रकारों की मौतों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार संवेदनहीन हो गयी है। उसे कोरोना काल में बड़े पैमाने पर पत्रकारों की बेरोज़गारी की चिंता की और न ही अभी तक पत्रकारों की दुर्दशा की परवाह की है।
उन्होंने यहाँ जारी बयान में बताया कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में ग्राउंड पर जाकर रिपोर्टिंग कर रहे रिपोर्टरों और लगातार ऑफिस जा रहे पत्रकारों को न तो फ्रंट लाइन वर्कर माना गया और न ही उनको वैक्सीन में प्राथमिकता मिली है। परिणाम ये हुआ कि कई नामी गिरामी पत्रकारों सहित अलग-अलग राज्यों में 300 से ज्यादा मीडियाकर्मी कोरोना की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं। डॉ आसिफ ने कहा कि इसे त्रासदी ही कहेंगे कि अप्रैल के महीने में हर रोज औसतन तीन पत्रकारों ने कोरोना के चलते दम तोड़ा, मई में यह औसत बढ़कर हर रोज चार का हो गया. 
कोरोना की दूसरी लहर में देश ने कई वरिष्ठ पत्रकारों को खो दिया. जिले, कस्बे, गांवों में काम कर रहे तमाम पत्रकार भी इस जानलेवा वायरस के सामने हार गए. डॉ आसिफ ने दिल्ली आधारित इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अप्रैल 2020 से 16 मई 2021 तक कोरोना संक्रमण से कुल 238 पत्रकारों की मौत हो चुकी है। 
मई के महीने में हर रोज चार पत्रकारों ने दम तोड़ा
रिपोर्ट बताती है कि कोरोना की पहली लहर में अप्रैल 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक 56 पत्रकारों की मौत हुई लेकिन दूसरी लहर ज्यादा भयावह साबित हुई। 1 अप्रैल 2021 से 16 मई की बीच 171 पत्रकारों ने दम तोड़ दिया. शेष 11 पत्रकारों का निधन जनवरी से अप्रैल के बीच हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार  पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित करने के साथ उनके लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करे। उन्होंने कहा कि सरकार प्रत्येक मृतक पत्रकार परिवार को एक एक करोड़ रुपये सहयता राशि प्रदान करे।

वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया के दावे , 300 से ज्यादा पत्रकारों ने जान गंवाई

कोरोना से 300 से ज्यादा पत्रकारों ने जान गंवाई, इनमें करीब 55% प्रिंट मीडिया से, 25% टीवी और डिजिटल मीडिया से तथा 19% फ्रीलांस पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं. इस पर भी न फ्रंट लाइन वर्कर माना गया और न वैक्सीन में प्राथमिकता मिली.

देखें पूरी लिस्ट
https://docs.google.com/document/d/e/2PACX-1vTkXC1UzWBeXiz39WHroeqleYml9WJui-SbQIu7nANl0zjC-c0jp_maF0XeTNAqOg/pub

वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया, कोरोना की पहली लहर से देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी व राज्यो के मुख्यमंत्रियो को लगातार पत्र भेजकर उन्हें, फ्रंटलाइन वारियर का दर्जा देने की मांग कर रही है। पर दुखद है कि पत्रकारो की मांगों पर कोई अमल नही हुआ है।

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