नव राष्ट्र मीडिया
पटना।

बिहार की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद के रूप में करीब एक लाख आशा कार्यकर्त्ता-आशा फैसिलिटेटर विगत 17 वर्षों से सेवा देती आ रही हैं । इनकी सेवाओं का ही परिणाम है कि आज बिहार में संस्थागत प्रसव- प्रसव के दौरान मातृ-शिशु मृत्यु दर-परिवार नियोजन से लेकर रोग निरोधी टीकाकरण तक के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियां हासिल हुई हैं । कोरोना महामारी के दौरान उसकी रोकथाम के अभियान इनलोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर भी सेवा देती रही और इस क्रम में दर्जनों लोगों को जान तक गंवानी पड़ी हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से लेकर पटना उच्च न्यायालय तक ने उनकी उक्त भूमिका की प्रशंसा की । लेकिन उनकी उक्त भूमिका और योगदान के बावजूद संगठन की ओर से लगातार ज्ञापन-प्रतिनिधिमंडल वार्त्ता-धरना-प्रदारधान जैसे सांकेतिक अंदोलन द्वारा ध्यानाकर्षित किये जाने के बावजूद केंद्र सरकार से लेकर बिहार सरकार द्वारा उनकी बुनियादी माँगों को पूरा करने के मामले में ताल-मटोल एवं अनदेखी करती आ रही है । स्वाभाविक तौर पर सरकार के इस रवैये के कारण लेकर राज्य की आशाओं-फैसिलिटेटरों के बीच भारी असंतोष व्याप्त है और निर्णायक आंदोलन शुरू करने को वाध्य हैं जिसकी सारी जिम्मेवारी सरकार पर है ।

ऊपर वर्णित परिस्थिति में बाध्य होकर *आशा संयुक्त संघर्ष मंच* के आह्वान पर आशा कार्यकर्त्ताओं व आशा फैसिलिटेटरों की 9 सूत्री माँगों की पूर्त्ति हेतु *22 जून,23 को सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रदर्शन नारेबाजी, 4 जुलाई,23 को सभी सिविल सर्जनों के समक्ष प्रदर्शन- नाराबाजी और 12 जुलाई,23 से राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल* शुरू करने का निर्णय लिया गया है ।

*हमारी माँग है कि –*

1(क). आशा कार्यकर्त्ता-फैसिलिटेटरों को राज्य निधि से देय 1000 रू० मासिक संबंधी सरकारी संकल्प में अंकित *पारितोषिक* शब्द को बदलकर अन्य राज्यों की तरह *नियत मासिक मानदेय* किया जाय और इसे बढ़ाकर 10 हजार रू० किया जाय ।

(ख) उक्त विषयक सरकारी संकल्प के अनुरूप इस मद का वित्तीय वर्ष 19-20 (अप्रैल,19 से नवंबर,20 तक) का मासिक 1000 रु० का बकाया राशि का जल्द से जल्द भुगतान किया जाय।

2 *.अश्विन पोर्टल* से भुगतान शुरू होने के पूर्व का सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाय ।

3(क). आशा कार्यकर्त्ताओं-फैसिलिटेटरों को देय प्रोत्साहन-मासिक पारितोषिक राशि का अद्यतन भुगतान सहित इसमें एकरूपता -पारदर्शिता लाई जाय ।

(ख) आशाओं के भुगतान में व्याप्त भ्रष्टाचार – कमीशनखोरी पर सख्ती से रोक लगाई जाय ।

4. कोरोना काल की डियूटी के लिए सभी आशाओं-फैसिलिटेटरों को 10 हजार रुपया कोरोना भत्ता भुगतान किया जाय ।

5(क). आशाओं को देय पोशाक (सिर्फ साड़ी) के साथ ब्लाउज, पेटीकोट तथा ऊनी कोट की व्यवस्था की जाय और इसके लिए देय राशि का अद्यतन भुगतान किया जाय ।

(ख) फैसिलिटेटर के लिए भी पोशाक का निर्धारण और उसकी राशि भुगतान की शीघ्र व्यवस्था किया जाय ।

(ग)फैसिलिटेटरों को 20 दिन की जगह पूरे माह का भ्रमण भत्ता (SVC) दैनिक 500/-रू की दर से भुगतान किया जाए ।

6.(क).वर्षों पूर्व विभिन्न कार्यों के लिए निर्धारित प्रोत्साहन राशि की दरों में समुचित बृद्धि हेतु केन्द्र सरकार को प्रस्ताव एवं अनुशंसा प्रेषित किया जाय ।
(ख) आशा व आशा फैसिलिटेटरों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाय ।

7. कोरोना से (पुष्ट/अपुष्ट) मृत आशाओं को राज्य योजना का 4 लाख और केंद्रीय वीमा योजना का 50 लाख राशि का भुगतान किया जाय ।

8. आशा कार्यकर्ता -फैसिलिटेटर को भी सामाजिक सुरक्षा योजना–पेंशन योजना का लाभ दिया जाय । जब तक नहीं किया जाता तब तक *रिटायरमेंट पैकेज* के रूप में एकमुश्त 10 लाख का भुगतान किया जाय।

9. जनवरी’19 के समझौते के अनुरूप मुकदमों की वापसी सहित अन्य अकार्यान्वित बिन्दुओं को शीघ्र लागू किया जाय ।

हम संवाददाता सम्मेलन के माध्यम बिहार सरकार से माँग करते हैं कि समय रहते ऊपर वर्णित माँगों पर सकारात्मक निर्णय लेकर सरकारी आदेश जारी कर कर स्वास्थ्य सेवा में व्यवधान और टकराव को टालने के लिए अग्रसर होगी ।

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