बिमल चक्रवर्ती

धनबाद: कथा में ही भगवान मिलते है, कथा में ही भगवान आते है। कथा भगवत दर्शन की लालसा पैदा करती है। शुक्रवार की कथा क्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रसिद्ध संत विजय कौशल जी महाराज ने आज दूसरे दिन में कथा भूमिका के लिए उपरोक्त बातें कहीं। गोविंदपुर स्थित होटल मधुवन में आगामी पांच दिनों तक श्रीराम कथा का क्रम चलेगा। भजन कर माध्यम से भक्त, भगवान और भागवत के संबंधों से जुड़े संदर्भों की व्याख्या करते हुए महाराज श्री ने कहा कि भगवान के अवतार जिन भी भक्त के लिए हुए वो सभी गृहस्थ थे, व्यापारी या सांसारिक जरूरतों की पूर्ति के लिए कार्य में लीन थे। आज की कथा में भगवान के प्राकट्य प्रसंग की चर्चा हुई। इन्होंने कहा कि कलिकाल में सतयुग या द्वापर युग जैसा चरित्र नही चल सकता। संसार मे भगवान पर भरोसा करना चाहिए, जबकि संसार पर नही करना चाहिए। भवसागर से पार तो भगवान ले जाते है। भगवान बुरे से बुरे प्राणी का भी कल्याण करते है।

सांसारिक क्रिया-प्रकिया को उदाहरण के रूप में चर्चा में महाराज श्री ने शिव-पार्वती के विवाह को उद्घृत करते हुए वैवाहिक जीवन के विभिन्न सोपानों को सुनाया। सखा, सहायक, पिता, स्वामी और मां रूप में पत्नी आयु अनुसार भूमिका का निर्वाहन करती है। इसलिए पत्नी का सम्मान करना चाहिए। कथा आरंभ होने से पूर्व व्यासपीठ की पूजन के वैदिक कार्य को मुख्य यजमान शंभूनाथ अग्रवाल, नंदलाल अग्रवाल, बलराम अग्रवाल, उर्मिला देवी, पिंकी अग्रवाल, पायल अग्रवाल, सुभद्रा केजरीवाल, श्याम सुंदर केजरीवाल ने आचार्यों की उपस्थिति में सम्पन्न की। गुरु दीक्षा का स्वतः सिद्ध मंत्र आज कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से बोलते हुए महाराज श्री ने कहा कि जिनको आजतक उनकी रुचि के योग्य गुरु नहीं मिला या किसी भी कारण से किसी ने गुरु नही बनाया तो वेद ऋषि श्रीनारद के श्रीमुख से निकली चौपाई का नित्य प्रतिदिन “जेहि बिधि नाथ होई हित मोरा, करहू सो बेगि दास मैं तोरा” इसका जाप करें। इसके फलस्वरूप गुरुदीक्षा के समानांतर ही फल प्राप्त होगा। श्री सिद्ध हनुमान चालीसा का हवन हुआ, शनिवार की सुबह साढ़े सात बजे से महाराज श्री के निवास स्थल पर श्री सिद्ध हनुमान चालीसा का हवन हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु शामिल हुए। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन लगभग आधे घंटे तक चला। व्यासपीठ से आशीर्वाद लेने दूर से आये भक्त आज की कथा में व्यासपीठ से आशीर्वाद लेने कोलकाता से कथाप्रेमी बसंत गोयनका, अशोक अग्रवाल नागपुर से विशेष रूप से पधारे। ऋषिकेश से गुरुदेव के प्रतिनिधि पधारे , आज की कथा में ऋषिकेश से ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर 1008 श्री आत्मप्रकाश जी महाराज के शिष्य श्री अमृतप्रकाश जी पधारे। इनके साथ कथावाचक प्रदीप कौशिक भी कथा श्रवण करने हेतु बैठे।

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