धनबाद ब्यूरो

कतरास-(धनबाद) : ‘सुखस्य मूलं धर्मः।’, अर्थात सुख का मूल धर्माचरण में है । यदि समाज और राष्ट्र को सुचारू रूप से चलाना है तो सभी क्षेत्रों में धर्म की स्थापना आवश्यक है । व्यक्तिगत या सामाजिक जीवन में धर्म का अधिष्ठान आने से व्यक्ति नीतिवान बनता है और कुछ भी गलत काम करने से बचता है । इसलिए धर्म का अधिष्ठान हुआ, तो ही धर्माधारित यानि आदर्श समाज का निर्माण हो सकता है । इसलिए राष्ट्र को वास्तविक रूप से उर्जितावस्था प्राप्त करनी हो, तो धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता है । उसके लिए प्रत्येक को धर्मशिक्षा लेकर, धर्माचरण कर धर्माधारित समाज का निर्माण और धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए सक्रिय होना चाहिए । कालानुसार हिन्दू राष्ट्र के लिए योगदान देना श्रीगुरु के समष्टि रूप की सेवा ही है, गुरुपूर्णिमा रानी बाजार, कतरासगढ, धनबाद में भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया और देशभर में 154 स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया ।
डॉ. कौशिक जी ने कहा, ‘गुरु होना यानि सिर्फ उनके दिए मंत्र का उच्चारण ही नही अपितु उनकी शारीरिक और व्यवहारिक कार्यो में सेवा करना चाहिये । गुरु हमें हर दशा हर पहलू में सिखाते है । एक बार जिसको गुरु मान लिया तो उनका परीक्षण नही उनका अनुसरण होना चाहिए।
महोत्सव के प्रारंभ में श्री व्यासपूजा और प.पू. भक्तराज महाराजजी की प्रतिमा का पूजन किया गया । देशभर में हुए गुरुपूर्णिमा के अवसर पर सनातन संस्था का मराठी तथा हिंदी भाषा में ‘परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजीकी गुरुसे हुई भेंट एवं उनका गुरुसे सीखना’, मराठी भाषा में ‘श्री. अशोक भांड यांचा साधनाप्रवास’, अंग्रेजी भाषा में ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेज् स्पिरिच्युअल वर्कशॉप्स इन 1992’, ‘सीकर्स रिवील यूनिक फेसेटस् ऑफ परात्पर गुरु डॉ. आठवले’, ‘एफर्टस् एट द स्पिरिच्युअल लेवल फॉर रिमूवल ऑफ पर्सनॅलिटी डिफेक्टस्’ और ‘हाऊ टू प्रोग्रेस फास्टर स्पिरिच्युअली थ्रू सत्सेवा ?’ इन ग्रंथो का प्रकाशन किया गया। 9 भाषाओं में ‘ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ इस वर्ष सनातन संस्था द्वारा मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड, तमिल, तेलगु, गुजराती, बंगाली, उडिया आदि 9 भाषाओं में ऑनलाइन के माध्यम से गुरुपूर्णिमा महोत्सव संपन्न हुआ ।

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