बिमल चक्रवर्ती
धनबाद : सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाहन करके मलेरिया जैसी बीमारी को रोका जा सकता है। मलेरिया की रोकथाम एवं उसके बचाव के लिए अपने आसपास पानी को जमा न होने दें। जमे हुए पानी में कीटनाशक, जला हुआ मोबिल, किरासन तेल डालें। जिससे मच्छर प्रजनन न कर सके। पानी की टंकी को ढक कर रखें। फ्रिज, कूलर, फूलदानी व अन्य बर्तनों का पानी सप्ताह में एक दिन अवश्य सुखा लें। घरों के अंदर कीटनाशक का छिड़काव करें एवं मच्छरदानी का प्रयोग करें। उपरोक्त बातें सिविल सर्जन डॉ.श्याम किशोर कांत ने आज विश्व मलेरिया दिवस को लेकर आयोजित प्रेस वार्ता में कहीं। उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस दिन मलेरिया को नियंत्रित करने और उसके उन्मूलन के वैश्विक प्रयास के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए इसका आयोजन किया जाता है।
उन्होंने कहा कि कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। भारत में संक्रमण के 65% प्लाजमोडियम वाइवैक्स तथा 35 प्रतिशत प्लाजमोडियम फैल्सीपैरम के कारण होता है। छोटे बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं में इस रोग के प्रति प्रतिकार क्षमता अत्यंत कम होती है। इसके कारण माता मृत्यु, मृत शिशुओं का जन्म, नवजात शिशुओं का वजन अत्यधिक कम होना एक प्रमुख समस्या है। इसे रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व मलेरिया की जांच अनिवार्य की गई है। उन्होंने बताया कि ठंड के साथ बुखार आना, उल्टी होना या उल्टी जैसा लगना, शरीर में ऐठन एवं दर्द, सिर दर्द, चक्कर आना तथा थोड़ी देर में पसीने के साथ बुखार आना मलेरिया के लक्षण हो सकते हैं। ऐसा होने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेना हितकारक है। सिविल सर्जन ने बताया कि 25 अप्रैल, विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर सिविल सर्जन कार्यालय में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाहन कर मलेरिया को नियंत्रित व रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। पत्रकार वार्ता में सिविल सर्जन डॉ. श्याम किशोर कांत, जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. सुधा सिंह, जिला मलेरिया सलाहकार रमेश कुमार, मलेरिया निरीक्षक उत्तम कुमार मौजूद थे।