बिमल चक्रवर्ती

धनबाद : जिले के सरस्वती विद्या मंदिर सिनिडीह में स्वामी विवेकानंद जयंती समारोह एवं पूर्व छात्र सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य सुनील कुमार सिंह एवं उप प्राचार्य दुर्गेश नंदन सिन्हा ने दीप प्रज्वलन किया। एवं स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर माल्यार्पण किया। अपने संबोधन में विद्यालय के प्राचार्य सुनील कुमार सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद युग दृष्टा एवं युग श्रष्टा थे, जिन्होंने बिखरे हुए भारतवर्ष को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि गुरु की महिमा से ही विवेकानंद जैसे रत्नों का निर्माण होता है। युवा देश के कर्णधार होते हैं, युवाओं को अपनी शक्ति को पहचान कर कार्य करना होगा तभी देश का उत्थान संभव है। अपने संबोधन में उप प्राचार्य दुर्गेश नंदन सिन्हा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारतवर्ष के महानायक थे, जिन्होंने युवाओं को प्रेरित किया कि आगे बढ़ो और तब तक नहीं रुको जब तक तुम्हारा उद्देश्य पूर्ण नहीं हो जाए। उन्होंने कहा कि स्वामी जी हमेशा कहते रहते थे कि स्वस्थ रहकर ही जीवन जीना है, क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा निवास करती है। इस अवसर पर पूर्ववर्ती छात्रों ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए। विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र भैया सागर ने विवेकानंद द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा की और कहा कि शताब्दियों में ही ऐसे महापुरुषों का जन्म होता है।
अपने संबोधन में पूर्ववर्ती छात्र भैया दामोदर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने दिग दिगंत में भारतीय संस्कृति की गूंज पैदा कर दी। सर्व धर्म सम्मेलन जो शिकागो में आयोजित था उसमें स्वामी विवेकानंद ने भारतीय सनातन संस्कृति की ऐसी व्याख्या की कि संपूर्ण विश्व हतप्रभ रह गया। इस अवसर पर कक्षा दशम की बहन तान्या सिन्हा ने विवेकानंद से संबंधित गीत प्रस्तुत किया। वहीं कक्षा एकादश की बहन प्राची ने भी स्वामी विवेकानंद के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उन्हें युगपुरुष बताया। अपने संबोधन में कक्षा एकादश की बहन आंचल चौरसिया ने विवेकानंद को महानायक बताते हुए उन्हें नमन किया और उनके द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा की। कक्षा नवम के भैया एशिक चंद्रा ने स्वामी विवेकानंद के द्वारा किए गए महान कार्यों की विस्तृत व्याख्या की और उन्हें नए भारतवर्ष का निर्माता बताया। धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के आचार्य श्री अरविंद कुमार ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के आचार्य मुरारी प्रसाद, मुरारी दयाल सिंह, धर्मेंद्र तिवारी, अजय कुमार पांडे, गौतम मुखर्जी , डॉक्टर तापस कुमार घोष, मानिक सेन एवं नवल किशोर झा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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