राष्ट्र मीडिया ब्यूरो

पटना : जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता अरविंद निषाद ने भाजपा नेता एवं राज्यसभा सांसद सुशील मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछड़ा वर्ग में वर्गीकरण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 2 अक्टूबर 2017 को जस्टिस रोहिणी आयोग का गठन किया था। रोहिणी आयोग को 12 सप्ताह के अंदर यानि तीन माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश केंद्र सरकार की ओर से था। नरेंद्र मोदी सरकार ने 13वीं बार जस्टिस रोहिणी आयोग का कार्यकाल बढ़ाया। रोहिणी आयोग के 5 वर्षों के कार्यकाल में सरकार के करोड़ों रुपए डूब गए और आजतक रोहिणी आयोग का रिपोर्ट सार्वजनिक नही हुआ।

रोहिणी आयोग के विचारार्थ विषय:-
 पिछड़ा वर्ग में असमानता की जॉंच करना।
 पिछड़ा वर्ग की मापदंडो का निर्धारण करना।
 पिछड़ा वर्ग का वर्गीकरण करना।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने नरेन्द्र मोदी सरकार को वर्ष 2015 में ओबीसी को अत्यंत पिछड़े वर्गों, अधिक पिछड़े वर्गों एवं पिछड़े वर्गों में वर्गीकृत करने के लिए सिफारिश किया था। संवैधानिक अधिकार प्राप्त राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों को नरेन्द्र मोदी की सरकार ने लागू नहीं किया। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशें लागू नहीं होने से बिहार सहित देश के अति पिछड़ा समुदाय अपने हक और अधिकार से वंचित है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के शपथ पत्र में केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराने का सुझाव दिया था। भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा विरोधी मानसिकता एवं चरित्र प्रदर्शित करते हुए संवैधानिक संस्थाओं के सुझावों को भी दरकिनार करते हुए जातीये जनगणना नहीं कराने का फैसला कर हाशिये पर खड़े समुदाय के विकास में सबसे बड़ा बाधक है।

श्री निषाद ने कहा कि वर्ष 2007 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विशेष पहल से सुप्रीम कोर्ट के मुहर के उपरांत बिहार में अतिपिछड़ा वर्ग को नगर निकायों में आरक्षण प्राप्त हुआ था। श्री निषाद ने कहा कि सुशील मोदी से बिहार की जनता जानना चाहती है कि भाजपा को केंद्र सरकार में सत्तासीन हुए 8 साल बीत जाने के बाद कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण से संबंधित कौन से कार्य हुए हैं?

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