अपराधियों का नीतीश राजः साल 2006-2019 तक का  राष्ट्रीय क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट साझा की, हत्याओं में बिहार उत्तर प्रदेश के बाद देश में दूसरे नंबर पर

विजय शंकर
पटना । कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मोदी सरकार और नीतीश सरकार पर एक और बड़ा हमला बोला है और ‘फिसड्डी बाबू’ के बाद एक नई उपमा से अलंकृत किया है। चूंकि नीतीश राज में अपराध बढ़ गए बेशुमार तो नीतीश कुमार को उपमा दी ‘अपराध कुमार’। वर्ष-दर-दर वर्ष नीतीश सरकार ने बिहार के चप्पे-चप्पे को अपराधियों के बीहड़ में तब्दील कर दिया । इसी तरह इनके जोड़ीदार सुशील मोदी को !!दुश्शील मोदी!! कि उपाधि दी गयी है । अब साफ है कि जितना अपराध बढ़ते जाता उतना ‘अपराध कुमार’ सरकारी साधनों का दोहन कर खुद को ‘सुशासन बाबू’ प्रचारित करते जाते। जितना अधिक सुशासन का प्रचार किया उतना अपराध बढ़ता गया।

(साल 2006-2019 रिपोर्ट- राष्ट्रीय क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो) के अनुसार नीतीश सरकार के बिहार की सत्ता में आने के बाद राज्य में अपराध में 150 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। जहां 2005 में कुल अपराध 1,07,664 प्रतिवर्ष होते थे वो बढ़कर 2019 में 2,69,109 प्रतिवर्ष हो गए। अर्थात अपराधों में 150 प्रतिशत वृद्धि हो गई। ‘अपराध कुमार’ की सत्ता की सरपरस्ती में अपराधियों के लिए हत्या, अपहरण, हत्या के प्रयास तो आम बात हो गई। अपराधी दलितों का दमन करते रहे, महिलाओं का अपहरण करते रहे ।
लेकिन अपराध कुमार की सत्ता न सिर्फ मौन साधे रही, अपितु अपराधियों का साथ भी निभाती रही। इतना ही नहीं, बच्चों तक को अपराधियों ने नहीं छोड़ा।
बिहार में हर रोज 737 अपराध हो रहे हैं – जिसमें 9 हत्याएं, 29 अपहरण, 123 जघन्य अपराध, 51 महिला अपराध, 25 महिलाओं के अपहरण, दो बलात्कार, 17 बच्चों के अपहरण शामिल हैं। देखा जाए तो नीतीश सरकार आने के बाद बच्चों के अपहरण में 8,697 प्रतिशत की वृद्धि हो गई जबकि महिलाओं के अपहरण में 733 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। हत्या के प्रयास में 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई और जघन्य अपराध में 87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस बारे साल 2006 से 2019 के प्रतिवर्ष सिलसिलेवार आँकड़े के दस्तावेज संलग्न है।
आइए सिलसिले वार जानते हैं ‘अपराध कुमार’ बनाम ‘सुशासन बाबू’ का चौंकाने वाला सच, 14 वर्षों की ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो रिपोर्ट’ की जुबानी:-
बिहार में हत्यारों का तांडव:
1. हत्याओं में बिहार उत्तर प्रदेश के बाद देश में दूसरे नंबर पर है। नीतीश-भाजपा सरकार
के 14 सालों के शासन में 44,271 लोगों को बेहरमी से मौत की घाट उतार दिया गया।
2. हत्या के प्रयासों में भी बिहार देश में दूसरे नंबर पर है। ‘अपराध कुमार’ के सत्ता संभालने के बाद हत्या के प्रयासों में 140 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। कुल 70,092 लोगों के साथ अपराध घटित हुए।
जघन्य अपराध और दंगों का हब बना बिहार:
3. बिहार में ‘अपराध कुमार’ एवं ‘दुश्शील मोदी’ की सरकार ने अराजकता की सारी हदें पार करते हुए राज्य के कोने-कोने को दंगों से भर दिया। 14 वर्षों के ‘अपराध कुमार’ की सरकार में 1,45,494 दंगे हुए। अर्थात दंगों में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
4. नीतीश कुमार की सत्ता लगातार अपराधियों के पोषण और बिहार के नागरिकों के शोषण में लगी रही। उसका नतीजा यह हुआ कि हत्या, बलात्कार, लूट, अपहरण, फिरौती, डकैती जैसे जघन्य अपराध बिहार में चरम पर पहुंच गए। यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि बिहार में नीतीश सरकार आने के बाद जघन्य अपराधों में 87 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गई। 14 साल के कुशासन के दौरान बिहार में 4,60,907 जघन्य अपराध घटित हुए।
बेटियों पर गाज, अपराधियों का राज:
5. ‘अपराध कुमार’ की सत्ता की सरपरस्ती में अपराधियों के तांडव से बिहार की बेटियां हमेशा भयग्रस्त रहीं। यह सोचकर भी रूह कांप उठती है कि बीते 14 वर्षों में महिला अपराध में 175 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कुल 1,68,198 महिला अपराध दर्ज किए गए। इससे भी अधिक यह शर्मनाक बात है कि नीतीश सरकार इस हद तक अपराधियों के साथ खड़ी हो गई कि महिला अपराध में सजा की दर बिहार में मात्र 16 प्रतिशत है। आज बिहार में 84,958 महिला अपराध के प्रकरण न्यायालयों में लंबित हैं और लंबित रहने की दर 96.1 प्रतिशत है।
6. बिहार में बेटियां असुरक्षा के डर से घर से निकल नहीं पातीं। निकलती हैं तो अपहरण हो जाता है। नीतीश-भाजपा सरकार आने के बाद बिहार में अपहरण में 733 प्रतिशत की शर्मनाक और दर्दनाक वृद्धि हो गई।
7. ‘अपराध कुमार’ व ‘दुश्शील मोदी’ के तथाकथित सुशासन का यह हाल है कि बिहार में बीते 14 सालों में 14,027 बलात्कार की घटनाएं हुई हैं। बिहार में फलता-फूलता नौनिहालों का अपहरण उद्योग:
8. नीतीश सरकार में नौनिहालों पर अपराधियों की भयंकर गाज गिरी है। बच्चों पर होने वाले अपराध नीतीश-भाजपा सरकार आने के बाद आश्चर्यजनक रूप से 8,004 प्रतिशत बढ़ गए। नीतीश सरकार में कुल 41,223 मासूम बच्चों के साथ अपराध घटित हुए।
9. इससे ज्यादा डरावना और भयावह कुशाासन और कुछ नहीं हो सकता कि बच्चों के अपहरण में नीतीश सरकार आने के बाद 8,697 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। कुल 29,309 बच्चों का अपहरण किया गया।
10.राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2019 की रिपोर्ट बताती है कि पूरे देश में बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा बच्चों का इस्तेमाल पोर्नोग्राफी के लिए किया जाता है।
11. बिहार एक ऐसा प्रांत है जहां 10,772 अपहरण प्रतिवर्ष में से 6,334 अपहरण नाबालिग बच्चों के होते हैं।
असुरक्षा के साये में अनुसूचित जाति:
12. दलित व महादलित परिवारों के प्रति अपराधों का अगर पिछले तीन सालों का मूल्यांकन करें तो बिहार पूरे देश में दलित उत्पीड़न में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर आता है। पिछले तीन सालों में ही बिहार में दलित उत्पीड़न के 20,352 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 90 फीसदी को न्याय नहीं मिला।
बिहार में स्पेशल ईकॉनॉमिक ज़ोन की बजाय स्पेशल क्राईम ज़ोन
13. बिहार में युवाओं को रोजगार देने के लिए ‘स्पेशल ईकॉनॉमिक ज़ोन’ को समृद्ध बनाने की बजाय ‘अपराध कुमार-दुश्शील मोदी’ की जोड़ी ने ‘स्पेशल क्राईम ज़ोन’ ;समृद्ध बना दी। बिहार के ‘स्टेट क्राईम रिकॉर्ड्स ब्यूरो’ के मुताबिक अब बिहार के चिन्हित जिले हत्या, अपहरण, बलात्कार और दंगों के स्पेशल क्राईम ज़ोन निर्धारित किए गए हैं।

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