वैवाहिक अनुष्ठान में महिला पुरोहित की दिशा में बढ़ा बिहार, चर्चा में आई शादी
वीरेंद्र यादव
पटना : विधान पार्षद और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान की बेटी अदिति नारायणी का शादी समारोह आज राजनीतिक गलियारे की चर्चा में रहा। विधान परिषद आवास परिसर में ही शादी को लेकर भव्य पंडाल का बनाया गया है। यह शादी समारोह में कई कारणों से चर्चा में बना रहा। करीब 10 दिन पहले संजय जी ने शादी समारोह के लिए आमंत्रित करते हुए बताया था कि इस शादी की चार विशेषता है। उन्होंने कहा कि शादी बिना तिलक-दहेज के हो रही है। शादी की विधि-विधान दिन में होगा। मुम्बई से आयी महिला पुरोहित शादी करवाएंगी और यह अंतर्जातीय विवाह है। हमने उनसे यह भी पूछ लिया कि यदि शादी अंतर्जातीय है तो वर पक्ष किस जाति का है।
आज दोहपर में हम भी पंडाल में पहुंचे। शादी को लेकर तैयारी चल रही थी। पारिवारिक और रिश्तेदारों की आना-जाना लगा रहा था। इसी बीच संजय जी ने हमारा परिचय महाराष्ट्र से आयी महिला पुरोहितों से कराया। इसके बाद शुरू हुआ बातचीत का सिलसिला। पुरोहितों का नाम था- गौरी कुंटे और वृंदा दांडेकर। गौरी कुंटे 1995 के बाद से पुरोहित का कार्य कर रही हैं और इस संबंध में प्रशिक्षण भी देती हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में कई शहरों में महिलाएं शादी का विधि-विधान करती हैं। फिलहाल इनके साथ चार महिलाओं का समूह है, जो वैवाहिक अनुष्ठानों को संपन्न कराती हैं। वृंदा दांडेकर भी उनकी समूह की सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में महिला पुरोहित का प्रचलन है। हालांकि इनकी संख्या कम ही है। इनकी एक संस्था है मैत्री पौरोहित्य मंडल। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रशिक्षण देने का कार्य करती हैं। वैवाहिक अनुष्ठानों के लिए दो विधि का प्रचलन है- वेदोक्त और पुराणोक्त। वह कहती हैं कि पुरोणोक्त का विधि विधान मराठी में है, जबकि वेदोक्त का विधि विधान संस्कृत में है। इस कारण पुराणोक्त विधि से प्रशिक्षण के लिए काफी लोग आते हैं, जबकि वेदोक्त विधि वालों की संख्या कम होती है।
ये दोनों महिलाएं ब्राह्मण जाति की हैं। उन्होंने बताया कि पौरोहित्य प्रशिक्षण के लिए गैरब्राह्मण जाति के लोग भी आते हैं। उनको भी प्रशिक्षण देते हैं। उनका मानना है कि वेदोक्त विधि से अनुष्ठान के लिए संस्कृत का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस कारण अधिकतर लोग वेदोक्त के बजाये पुराणोक्त विधि को ही पसंद करते हैं, क्योंकि उसका पाठ मराठी में ही होता है और सरल भाषा में होता है। हालांकि उन लोगों ने माना कि पौरोहित्य कार्य में अधिकतर ब्राह्मण जाति के लोग ही जुड़े हुए हैं।
गौरी कुंटे ने कहा कि उनकी टीम विश्व हिंदू परिषद के साथ मिलकर धर्मांतरण करने वाले लोगों को सनातन धर्म की दीक्षा भी देती है। पौरोहित्य प्रशिक्षण के कार्य में भी विश्व हिंदू परिषद का सहयोग मिलता है। वे कहती हैं कि महाराष्ट्र में शादी-विवाह का अनुष्ठान दिन में ही संपन्न होता है। बिहार और महाराष्ट्र में शादी के विधि-विधान में थोड़ा अंतर है। वे कहती हैं कि बिहार में पहली बार पौरोहित्य कार्य के लिए आयी हैं। लोगों ने महिला पुरोहित का स्वीकार किया। यह सामाजिक बदलाव का ही प्रमाण है। वे कहती हैं कि अब समाज की सोच में बदलाव का समय आ गया है और इसे व्यापक स्वीकृति मिलनी चाहिए।