सहाय सदन में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री महामाया बाबु को जयंती पर याद करते चित्रांश बन्धु

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में मनाई गयी पूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा की जयंती

विजय शंकर 
पटना : अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में आज पूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा की जयंती मनाई गई जिसमें वक्ताओं ने उनके बचपन के संस्मरण, उनके तीव्र बुद्धि और युवाओं के हृदय में बसने वाले चित्रांश समाज के एक बड़े नेता के रूप में उन्हें याद किया । वक्ताओं ने कहा कि युवाओं और छात्रों को महामाया बाबु इतना प्यार करते थे कि वे सदैव उन्हें जिगर के टुकड़े कहा करते थे । अबतक की राजनीति में किसी राजनेता ने युवाओं और छात्रों को जिगर का टुकड़ा नहीं कहा, नहीं माना । युवाओं और छात्रों, उन्हें वे जिगर के टुकड़े कहते थे, के बल पर उन्होंने ना सिर्फ दिग्गज नेता महेश बाबू को हराया बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री केबी सहाय को भी हराया था । महामाया बाबु के अंदर एक जज्बा था जिसमें हमेशा वह युवाओं को लेकर चलना चाहते थे, मगर वर्तमान हालात और देश की गंदी राजनीति ने इस बुद्धिजीवी चित्रांश राजनेता को मात्र 1 साल तक ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने दिया जबकि वह एक मिली जुली सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में बिहार में सीएम बने थे और उनके फैसले लोग आज भी याद करते हैं ।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के नेता व प्रधान संपादक मनहर कृष्ण अतुल ने कहा कि कायस्थ समाज में सोच बदलने की जरूरत है और उनको जागृत करने की भी जरूरत है । कायस्थों की राजनीति और राजनीति में कायस्थों की असफलता के मूल कारणों को समझना होगा और उन्हें बदलना होगा । पहले तो राजनेताओं को समाज का भरपूर समर्थन नहीं मिलता और फिर जब राजनेता उच्च पदों पर आसीन होते हैं तो समाज को पीछे छोड़ जाते हैं । यही कारण है कायस्थों का विकास नहीं हो रहा , चित्रांश समाज आज पिछड़ता जा रहा है । उन्होंने कहा कि इसमें बदलाव की जरूरत है और बदलाव होने के बाद ही समाज को मजबूती हर स्तर पर मिल पाएगी ।
वक्ताओं ने कहा, महामाया प्रसाद सिन्हा एक योग्य मुख्यमंत्री थे, कुशल राजनेता थे, तीव्र बुद्धि के थे और साथ ही पहलवान भी थे, फिर भी दुर्भाग्य है कि आज नहीं तो कोई उनके नाम पर राजकीय समारोह होता और ना ही शहर में कहीं भी उनकी प्रतिमा लगाई गई है । ऐसे में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा राज्यपाल से मिलकर उनकी प्रतिमा लगाने का अनुरोध करेगा और उन्हें वह सम्मान दिलाने का अनुरोध करेगा जो पूर्व मुख्यमंत्री को मिलनी चाहिए ।
वक्ताओं ने कहा, कि महामाया प्रसाद विपरीत परिस्थितियों में मुख्यमंत्री बने थे और जब कांग्रेस 128 सीटें लेकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सदन में आई थी अगर कांग्रेस अपना नेता नहीं चुन पाई जिसके कारण बिहार में मिली जुली सरकार का गठन हुआ था और फिर महामाया बाबू मुख्यमंत्री बने थे । मगर बिहार का दुर्भाग्य है कि की महामाया बाबू को लोगों ने सत्ता में रहने नहीं दिया और एक साल बाद ही मुख्यमंत्री पद से उन्हें हटना पड़ा ।
कार्यक्रम अध्यक्षता महेश कुमार ने की जबकि धन्यवाद ज्ञापन विनय कुमार सिन्हा उर्फ पल्लू बाबू ने किया । इस मौके पर विचार व्यक्त करने वाले और महामाया बाबू को श्रद्धांजलि देने वाले महासभा के सदस्यों में अजीत कुमार, आदित्य नारायण, अमरेश प्रसाद, श्वेता श्रीवास्तव, अभिषेक कुमार, विजय शंकर, अविनाश कुमार सिन्हा, दीप कुमार सिन्हा, शैलेश कुमार वर्मा, अनुराग, संजय कुमार सिन्हा, कृष्ण बिहारी सिन्हा, विश्वरूपम कुमार, सुनील कुमार श्रीवास्तव, नीलम, अभय कुमार, अजय सिन्हा मंटू आदि शामिल थे ।

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