विदेशी एथलीट से मिली आर्चरी की प्रेरणा
सिर्फ 2 महीने में ही हो गया माहिर तीरंदाज

श्याम किशोर

गया। 9 वर्ष के रूद्र की प्रतिभा अचंभित करने वाली है।रूद्र सामान्य और सीधे तीरंदाजी तो करता ही है, अचंभित करने वाली बात यह है कि हाथ के बल उल्टा होकर और इसी हालत में ही आंखें बंद कर भी पैरों के अंगूठे से तीर चलाता है। योग में 150 से भी अधिक योगासन और प्राणायाम कर हैरत करने वाले इस नन्हे बच्चे में इस तरह एक और अनोखी प्रतिभा निखर रही है। रूद्र अभी से ही तीरंदाजी में माहिर होता जा रहा है। यह हाथों से ही नहीं, बल्कि पैरों और बंद आंखों से भी तीर से निशाना साध लेता है। देश में ऐसा कम ही देखने को मिलता है। 9 साल का नन्हा बालक रूद्र ने योग और स्केटिंग में अपनी प्रतिभा पहले ही बिखेरी है। उसने इस क्षेत्र में कई स्टेट और नेशनल लेवल के मेडल हासिल कर लिए हैं। अब वह काफी हैरतअंगेज करने वाला कारनामा कर रहा है। रुद्र प्रताप सिंह हाथ के बल उल्टा खड़ा होकर उसी पोजीशन में पैर के अंगूठे से आंख बंद कर भी तीर चला लेता है। तीर धनुष का उसका निशाना देखते ही बनता है. 5 से 20 फीट की दूरी तक वह सधा निशाना मारता है। आई लेवल और फूट लेवल डिफरेंस है, फिर भी सटीक निशाना लगाना उसकी प्रतिभा को सामने दिखाता है। रूद्र बताता है कि पुराने समय में शब्दभेदी बाण की बातें किताबों में वह पढ़ता था,उसने सोचा कि क्यों न इसे आज के युग में भी दिखाया जाए।इसके बाद उसने हाथ के बल उल्टा खड़ा होकर और आंख बंद कर तीर चलाना शुरु कर दिया।सबसे बड़ी बात यह है कि आंख बंद करके बहुत सटीक निशाना लगा रहा है, 100% आत्मविश्वास और अनुभव से ऐसा निशान लगाता है कि वह सटीक ही लगती है।

रुद्र के पिता राकेश कुमार सिंह बताते हैं कि वह जहानाबाद के खरका गांव के रहने वाले हैं।गया में वह बच्चे को पढ़ाने को लेकर बोधगया के राजापुर में रहते हैं। बताते हैं कि रूद्र प्रताप सिंह को योग से काफी लगाव था तो उनकी देखरेख में ही योग की प्रैक्टिस उसने शुरू किया और आज करीब डेढ़ सौ से अधिक योगासनों में उसकी महारत है। इसके अलावा स्केटिंग में भी वह माहिर है और अब आर्चरी में भी अपनी प्रतिभा दिखा रहा है।वे बताते हैं कि फिलहाल टॉय आर्चरी से ही उसकी प्रैक्टिस चल रही है। कंपाउंड आर्चरी खरीदने के लिए पैसे नहीं है।इसमें करीब ढाई लाख रुपए खर्च होते हैं। सरकार मदद करे तो निश्चित तौर पर देश के लिए रुद्र ओलंपिक में गोल्ड मेडल तीरंदाजी में ला सकता है। पिता राकेश कुमार सिंह बताते हैं कि संभवत रुद्र भारत का पहला बच्चा है, जो 9 साल की उम्र में 5 से 20 फीट का टारगेट करता है और चैलेंज करता है कि कोई उसे नहीं हरा सकता है।तीरंदाजी में वह निश्चित तौर पर मेडल लाएगा। ओलंपिक में भविष्य दिख रहा है। वह चौथी कक्षा का छात्र है। अभी तक स्टेट- नेशनल का 20 से अधिक सर्टिफिकेट और मेडल जीत चुका है, जो कि उसे योगा में मिला है। पिता रुद्र के पिता राकेश प्रसाद सिंह बताते हैं कि उसकी प्रैक्टिस सीधे खड़े होकर तीरंदाजी करने के अलावा हाथ के बल उल्टा खड़ा होकर भी तीर चलाने में माहिर है। बताते हैं कि पैर के अंगूठे से धनुष उठाता है।तीर पहले ही लगाता है फिर तमंचा पर चढ़ा दिया जाता है, फिर अंगूठे से धनुष को पकड़कर दूसरे पैर के अंगूठे से तीर को कमांड कर लक्ष्य को सटीक निशाना लगाता है। वही रुद्र प्रताप सिंह बताता है कि एक विदेशी एथलीट महिला का वीडियो देखने के बाद उसे आर्चरी की प्रेरणा मिली।उसने इसमें भी विभिन्न प्रकार से प्रैक्टिस शुरू कर दी और सामान्य-सीधे तौर पर तीरंदाजी तो करता ही है,साथ ही हाथ के बल उल्टा खड़ा होकर और उल्टे हालत में ही बंद आंखों से भी तीर चलाता है।वे योगा को अपने आधार बनाया और महज एक महीने में ही तीरंदाजी को कमांड करने लगा।इस क्रम में 20 फीट तक का निशाना साधता है। फिलहाल आर्चरी में अविश्वसनीय प्रतिभा दिखाने वाले रूद्र को लोग एकलव्य-अर्जुन कहकर भी बुलाते हैं।यदि सरकार साधन मुहैया कराए तो निश्चित तौर पर देश के लिए रूद्र तीरंदाजी में ओलंपिक मेडल लाएगा और उसका लक्ष्य भी यही है कि वह देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते।

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