प्रति यूनिट 2.00 रूपया का अनुदान देने का आग्रह
विजय शंकर
पटना । बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज ने सरकार से कॉमर्शियल एवं औद्योगिक उपभोक्ताओं के विद्युत दरों को पड़ोसी राज्यों के समान करने के लिए प्रति यूनिट 2.00 रूपया का अनुदान देने का आग्रह किया है जिससे कि यहॉं के उद्योग-धंधे फल-फूल सकें एवं नये निवेशक राज्य में निवेश के लिए आकर्षित हो सकें ।
चैम्बर अध्यक्ष श्री पी0 के0 अग्रवाल ने बताया कि राज्य में औद्योगिक विकास में सबसे बड़ी बाधा पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिहार में बिजली की दरें अधिक होना है । अभी भी राज्य में विद्युत की दरें पड़ोसी राज्य से 60 से 70% अधिक है । इसका प्रमुख कारण विद्युत खपत कम होना एवं उसके आधारभूत संरचना पर खर्च अधिक होना है । फलस्वरूप बिजली वितरण कम्पनियों का सालाना राजस्व की जरूरत काफी अधिक हो जाता है और उन्हें विद्युत की दरें बढ़ाने को विवश होना पड़ता है ।
श्री अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार इस समस्या को समझते हुए ही आम उपभोक्ताओं पर इसका अधिक भार न पड़े इसलिए बिजली पर अनुदान दे रही है जिससे कि आम जनता को राहत मिल सके । कुछ कॉमर्शियल एवं औद्योगिक उपभोक्ताओं को जो अनुदान दी भी जा रही है वह भी नहीं के बराबर है जिसके परिणामस्वरूप राज्य के कॉमर्शियल एवं औद्योगिक उपभोक्तओं को अधिक बिजली दर के बोझ को वहन करना पड़ रहा है । पूर्व में इलेक्ट्रीसिटी डयूटी 2 पैसा प्रति यूनिट लिया जाता था उसे बढ़ाकर वर्तमान में 6% की दर से इलेक्ट्रीसिटी डयूटी लिया जा रहा जो कि राज्य के उद्यमियों के लिए एक अतिरिक्त बोझ है, इसे भी पूर्व की भांति ही रखने की मांग की गई है । उन्होंने आगे बताया कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिजली की दरे अधिक होने के कारण राज्य के उद्यमी पड़ोसी राज्यों के उद्यमियों से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जा रहे हैं क्योंकि किसी भी वस्तु के निर्माण में यहॉं के उद्यमियों का लागत अधिक हो जाता है । यही कारण है कि नये उद्यमी बहुत कम या नहीं के बराबर आ रहे हैं ।
चैम्बर ने राज्य के माननीय उर्जा मंत्री, माननीय उद्योग मंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव उद्योग विभाग एवं उर्जा सचिव, बिहार से अनुरोध किया है कि राज्य में औद्योगिकरण को गति प्रदान करने के लिए राज्य के आम उपभोक्ताओं की भांति कॉमर्शियल एवं औद्योगिक उपभोक्ताओं को भी कम-से-कम 2.00 रूपया प्रति यूनिट का अनुदान दिया जाना चाहिए । इससे राज्य में कार्यरत वर्तमान उद्योग अन्य पड़ोसी राज्यों से प्रतिस्पर्धा करने में सफल होंगे तथा इसका सकारात्मक संदेश राज्य के बाहर के निवेशकों तक जाने से नये निवेशकों को भी आकर्षित करने में सहायक होगा ।