यूरिया के एक बैग पर केंद्र सरकार 3,200 रुपये का भार वहन करती है
नवराष्ट्र नेशनल ब्यूरो
गांधीनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गांधीनगर में सहकार से समृद्धि कार्यक्रम में कहा कि सहकार गांवों के स्वावलंबन का भी बहुत बड़ा माध्यम है, उसमें आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा है । आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए गांवों का आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है, इसलिए बापू और सरदार पटेल ने हमें जो रास्ता दिखाया, उसके अनुसार आज हम मॉडल कॉपरेटिव विलेज की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं । आत्मनिर्भरता में भारत की अनेक मुश्किलों का हल है । आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, सहकार है ।
आत्मनिर्भर कृषि के लिए देश के पहले नैनो यूरिया लिक्विड प्लांट का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा, मैं विशेष आनंद की अनुभूति करता हूं । अब यूरिया की एक बोरी की जितनी ताकत है, वो एक बोतल में समाहित है । नैनो यूरिया की करीब आधा लीटर बोतल, किसान की एक बोरी यूरिया की जरूरत को पूरा करेगी. 7-8 साल पहले तक हमारे यहां ज्यादातर यूरिया खेत में जाने के बजाए, कालाबाजारी का शिकार हो जाता था और किसान अपनी जरूरत के लिए लाठियां खाने को मजबूर हो जाता था. हमारे यहां बड़ी फैक्ट्रियां भी नई तकनीक के अभाव में बंद हो गई । पीएम मोदी ने कहा कि पहले की सरकार में समस्याओं का सिर्फ तात्कालिक समाधान ही तलाशा गया, आगे वो समस्या न आए, इसके सीमित प्रयास ही किए गए मगर मेरी सरकार में बीते 8 वर्षों में हमने तात्कालिक उपाय भी किए हैं और समस्याओं के स्थायी समाधान भी खोजे हैं ।
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद हमने यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग का काम किया जिससे देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया मिलना सुनिश्चित हुआ । यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में 5 बंद पड़े खाद कारखानों को फिर चालू करने का काम किया । भारत विदेशों से जो यूरिया मंगाता है इसमें यूरिया का 50 किलो का एक बैग 3,500 रुपये का पड़ता है, लेकिन देश में, किसान को वही यूरिया का बैग सिर्फ 300 रुपये का दिया जाता है. यानी यूरिया के एक बैग पर हमारी सरकार 3,200 रुपये का भार वहन करती है । देश के किसान को दिक्कत न हो इसके लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल 1.60 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी फर्टिलाइजर में दी है । किसानों को मिलने वाली ये राहत इस साल 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने वाली है ।